मधुराविजयम् /705
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  तुरङ्गखुरकुद्दाल
  
  
  
तेन द्विपास्तोमरिणा
तौ निकुञ्चितपूर्वाङ्गौ
त्वयि नाथ नियन्तृतां
   
  
  
  
दलदयुग्मदलोदर
दलितकन्दलमुच्छ्वसिता
   
  
  
  
दानं पाणेश्श्रुतेस्सूक्तं
   
  
  
  
दासतां कलिदासस्य
   
  
  
  
दिनविरामविकस्वर
   
  
  
  
दिनवेषमपास्य
   
  
  
  
दुनोति दण्डेन
   
  
  
  
दुरितंकपरं तुरुष्क
   
  
  
  
देवायी नाम
   
  
  
  
देहबन्धमिवोत्साहं
   
  
  
  
द्रढिमशालिनि
   
  
  
  
द्विगुणयन्नवर
   
  
  
  
द्विजराजसमुल्लास
द्विषा सरोषेण
   
  
  
  
धात्रीभिराप्ताभि
   
  
  
  
धानुष्कमुक्त
   
  
  
  
धियःप्रकाशादुप
   
  
  
  
न जामदग्न्येन
   
  
  
  
न तथा कटुघूत्कृता
   
  
  
  
10
   
  
  
  
(द )
   
  
  
  
( धा )
   
  
  
  
( न
   
  
  
  
न )
   
  
  
  
4
   
  
  
  
9
   
  
  
  
4
   
  
  
  
8
   
  
  
  
5
   
  
  
  
5
   
  
  
  
1
   
  
  
  
1
   
  
  
  
5
   
  
  
  
7
   
  
  
  
3
   
  
  
  
8
   
  
  
  
1
   
  
  
  
4
   
  
  
  
5
   
  
  
  
5
   
  
  
  
1
   
  
  
  
9
   
  
  
  
4
   
  
  
  
3
   
  
  
  
9
   
  
  
  
8
   
  
  
  
45
   
  
  
  
18
   
  
  
  
79
   
  
  
  
36
   
  
  
  
32
   
  
  
  
70
   
  
  
  
7
   
  
  
  
22
   
  
  
  
19
   
  
  
  
32
   
  
  
  
35
   
  
  
  
73
   
  
  
  
29
   
  
  
  
6
   
  
  
  
60
   
  
  
  
52
   
  
  
  
11
   
  
  
  
35
   
  
  
  
73
   
  
  
  
21
   
  
  
  
22
   
  
  
  
12
   
  
  
  
243
   
  
  
  
525
   
  
  
  
269
   
  
  
  
504
   
  
  
  
338
   
  
  
  
317
   
  
  
  
72
   
  
  
  
11
   
  
  
  
306
   
  
  
  
425
   
  
  
  
180
   
  
  
  
503
   
  
  
  
74
   
  
  
  
229
   
  
  
  
285
   
  
  
  
349
   
  
  
  
51
   
  
  
  
518
   
  
  
  
128
   
  
  
  
265
   
  
  
  
164
   
  
  
  
529
   
  
  
  
480
   
  
  
  
  
तेन द्विपास्तोमरिणा
तौ निकुञ्चितपूर्वाङ्गौ
त्वयि नाथ नियन्तृतां
दलदयुग्मदलोदर
दलितकन्दलमुच्छ्वसिता
दानं पाणेश्श्रुतेस्सूक्तं
दासतां कलिदासस्य
दिनविरामविकस्वर
दिनवेषमपास्य
दुनोति दण्डेन
दुरितंकपरं तुरुष्क
देवायी नाम
देहबन्धमिवोत्साहं
द्रढिमशालिनि
द्विगुणयन्नवर
द्विजराजसमुल्लास
द्विषा सरोषेण
धात्रीभिराप्ताभि
धानुष्कमुक्त
धियःप्रकाशादुप
न जामदग्न्येन
न तथा कटुघूत्कृता
10
(द )
( धा )
( न
न )
4
9
4
8
5
5
1
1
5
7
3
8
1
4
5
5
1
9
4
3
9
8
45
18
79
36
32
70
7
22
19
32
35
73
29
6
60
52
11
35
73
21
22
12
243
525
269
504
338
317
72
11
306
425
180
503
74
229
285
349
51
518
128
265
164
529
480