मधुराविजयम् /698
This page has not been fully proofread.
  
  
  
  अन्येद्युरथ राजीव
  
  
  
अपदिशच्छिशिरानिल
   
  
  
  
अपर्याप्तामतिक्रान्त
   
  
  
  
अपसर्पणसंभ्रम
   
  
  
  
अपारयन्ती चरितण
   
  
  
  
अपि दयिततमेन
   
  
  
  
अभिमते सति
   
  
  
  
अमर्षितस्याथ
   
  
  
  
अमुना युधि
   
  
  
  
अमुनाशु विशस्य
   
  
  
  
अमुमात्रकराल
   
  
  
  
अमुमुग्रतपः
   
  
  
  
अरातिवर्गोन्मथनेन
   
  
  
  
अरिबलापह
   
  
  
  
अलिनीलमय
   
  
  
  
अलिविभ्रममन्तरेति
   
  
  
  
अवनिपतिमनु
   
  
  
  
अवनिपतिरसिक्त
अवपत्किम कालकर्षक
   
  
  
  
अवितथं रजनी
   
  
  
  
अविनीतिदवानल
   
  
  
  
अविरतमवनीश
   
  
  
  
अवैक्षत क्षामशरीर
   
  
  
  
अव्याजसौन्दर्य
   
  
  
  
अशेषदोषाङ्क
   
  
  
  
असह्यैस्तत्र
   
  
  
  
असाधारणसार्वज्ञ्चम्
   
  
  
  
र
   
  
  
  
8
   
  
  
  
4
   
  
  
  
8
   
  
  
  
5
   
  
  
  
8
   
  
  
  
3
   
  
  
  
6
   
  
  
  
5
   
  
  
  
9
   
  
  
  
4
   
  
  
  
7
   
  
  
  
2
   
  
  
  
8
   
  
  
  
5
   
  
  
  
7
   
  
  
  
7
   
  
  
  
6
   
  
  
  
6
   
  
  
  
7
   
  
  
  
5
   
  
  
  
8
   
  
  
  
6
   
  
  
  
2
   
  
  
  
2
   
  
  
  
3
   
  
  
  
4
   
  
  
  
1
   
  
  
  
1
   
  
  
  
59
   
  
  
  
22
   
  
  
  
3
   
  
  
  
65
   
  
  
  
30
   
  
  
  
33
   
  
  
  
6
   
  
  
  
29
   
  
  
  
28
   
  
  
  
2!
   
  
  
  
22
   
  
  
  
45
   
  
  
  
50
   
  
  
  
6
   
  
  
  
57
   
  
  
  
29
   
  
  
  
40
   
  
  
  
55
   
  
  
  
:5
   
  
  
  
1
   
  
  
  
27
   
  
  
  
54
   
  
  
  
4
   
  
  
  
203
   
  
  
  
348
   
  
  
  
223
   
  
  
  
407
   
  
  
  
87
   
  
  
  
397
   
  
  
  
315
   
  
  
  
541
   
  
  
  
493
   
  
  
  
496
   
  
  
  
495
   
  
  
  
491
   
  
  
  
163
   
  
  
  
279
   
  
  
  
455
   
  
  
  
460
   
  
  
  
377
   
  
  
  
388
   
  
  
  
: 27
   
  
  
  
500
   
  
  
  
386
   
  
  
  
115
   
  
  
  
124
   
  
  
  
172
   
  
  
  
250
   
  
  
  
7
   
  
  
  
  
अपदिशच्छिशिरानिल
अपर्याप्तामतिक्रान्त
अपसर्पणसंभ्रम
अपारयन्ती चरितण
अपि दयिततमेन
अभिमते सति
अमर्षितस्याथ
अमुना युधि
अमुनाशु विशस्य
अमुमात्रकराल
अमुमुग्रतपः
अरातिवर्गोन्मथनेन
अरिबलापह
अलिनीलमय
अलिविभ्रममन्तरेति
अवनिपतिमनु
अवनिपतिरसिक्त
अवपत्किम कालकर्षक
अवितथं रजनी
अविनीतिदवानल
अविरतमवनीश
अवैक्षत क्षामशरीर
अव्याजसौन्दर्य
अशेषदोषाङ्क
असह्यैस्तत्र
असाधारणसार्वज्ञ्चम्
र
8
4
8
5
8
3
6
5
9
4
7
2
8
5
7
7
6
6
7
5
8
6
2
2
3
4
1
1
59
22
3
65
30
33
6
29
28
2!
22
45
50
6
57
29
40
55
:5
1
27
54
4
203
348
223
407
87
397
315
541
493
496
495
491
163
279
455
460
377
388
: 27
500
386
115
124
172
250
7