मधुराविजयम् /696
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  मधुराविजयस्य
  
  
  
मातृकावर्ण क्रमेणानुक्रमणी
   
  
  
  
( अ )
   
  
  
  
श्लोकारम्भः
   
  
  
  
अगमन्नभिसारिकाः
   
  
  
  
अग्रे निपेतुन पते:
अजनयदवनीश्वरस्य
   
  
  
  
अज्ञातसेवोचित
   
  
  
  
अतिलङ्घय चिरन्तनीं
   
  
  
  
अथ कम्पनरेन्द्र
   
  
  
  
अथ कम्पनृपोऽपि
   
  
  
  
अथ कम्पमहीपाल
   
  
  
  
अथ कल्पान्तसंभिन्न
   
  
  
  
अथ कालवशेन
   
  
  
  
अथ किञ्चिददृश्यतैन्दवं
अथ क्रमात्पार्थिव
   
  
  
  
अथ तं कलधौत
   
  
  
  
अथ तस्य पुरीमेव
   
  
  
  
अथ दलन्निचुलद्रुम
   
  
  
  
अथ निर्गत्य भवनादवेक्षत
   
  
  
  
अथ नृपसुतस्सान्ध्यं
   
  
  
  
अथ नृपस्य
   
  
  
  
अथ प्रववृते युद्धम्
   
  
  
  
अथ प्रशस्ते दिवसे
   
  
  
  
अथ मन्दरसंघट्ट
   
  
  
  
सर्ग:
   
  
  
  
7
   
  
  
  
4
   
  
  
  
6
   
  
  
  
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4
   
  
  
  
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8
   
  
  
  
4
   
  
  
  
5
   
  
  
  
4
   
  
  
  
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5
   
  
  
  
4
   
  
  
  
2
   
  
  
  
4
   
  
  
  
श्लोकः
   
  
  
  
31
   
  
  
  
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मातृकावर्ण क्रमेणानुक्रमणी
( अ )
श्लोकारम्भः
अगमन्नभिसारिकाः
अग्रे निपेतुन पते:
अजनयदवनीश्वरस्य
अज्ञातसेवोचित
अतिलङ्घय चिरन्तनीं
अथ कम्पनरेन्द्र
अथ कम्पनृपोऽपि
अथ कम्पमहीपाल
अथ कल्पान्तसंभिन्न
अथ कालवशेन
अथ किञ्चिददृश्यतैन्दवं
अथ क्रमात्पार्थिव
अथ तं कलधौत
अथ तस्य पुरीमेव
अथ दलन्निचुलद्रुम
अथ निर्गत्य भवनादवेक्षत
अथ नृपसुतस्सान्ध्यं
अथ नृपस्य
अथ प्रववृते युद्धम्
अथ प्रशस्ते दिवसे
अथ मन्दरसंघट्ट
सर्ग:
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7
7
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4
8
7
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8
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श्लोकः
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