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ओं विशालाक्ष्यै
 
विरागिण्यै
प्रगल्माये
परमोदरायै
 
परामोदायै
 
मनोमय्ये
 
व्योमकेश्यै
 
विमानस्थाये
 
वज्रिण्यै
वामकेश्वर्ये
पञ्चयज्ञप्रियायै
पञ्चप्रेतमथाधिशायिन्यै
पश्चभ्ये
पञ्चभूतेश्यै
 
पक्षसहयोपचारिण्यै ९५०
 
शाश्वत्यै
शाश्वतैश्वर्यायें
 
शर्मदायै
शम्भुमोहिन्यै
 
श्रीललितासहस्रनामावलिः
 
ममः ओं घर्मिण्ये
 
धराये
घरसुतायै
धन्यायै
 
९४०
 
धर्मवर्धिन्ये
 
लोकातीतायै
 
गुणातीतायै
 
सर्वातीतायै
 
शमात्मिकायै
बन्धूककुसुम प्रख्यायै
वाला ये
लीलाविनोदिन्यै
 
सुमङ्गल्यै
 
सुखकरें
 
सुवेपाढ्यायै
सुवासिन्यै
सुवासिन्यर्चनप्रीता ये
आशोभनायै
शुद्धमानसायै
विन्दुतर्पणसन्तुष्टायै
 
पूर्वजायै
त्रिपुराम्बिकायै
दशमुद्रासमाराध्यायै
 
त्रिपुराश्रीवशङ्क
ज्ञानमुद्रायै
ज्ञानगम्यायै
 
नमः
 
९६०
 
९७०