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जन्ममृत्युजराततजन-
विश्रान्निदायिन्यै नमः
सर्वोपनिषदुष्टायै
शान्त्यतीतकलात्मिकायै
गम्भीरायै
गगनान्तरस्थायै
श्रीललितासहस्रनामावलिः
गर्वितायै
गानलोलुपायै
कल्पनारहितायै
काष्ठाये
अकान्तायै
कान्तार्ध विग्रहायै
कार्यकारण निर्मुक्तायै
काम
के लितर द्वितायै
कनस्कनकताटकायै
लीलाविग्रहधारिण्यै
८६०
अजाये
क्षयविनिर्मुक्तायै
मुग्धायै
क्षिप्रप्रसादिन्यै
व्यन्तर्मुखसमाराध्यायै ८७०
ओं बहिर्मुख सुदुर्लभायै नमः
वय्ये
त्रिवर्गनिलयायै
त्रिस्थायै
त्रिपुरमालिन्यै
निरामयायै
निरालम्बायै
स्वात्मारामायै
सुधास्रुत्यै
संसारपङ्क निर्मग्न समुद्ध-
रणपण्डितायै
यज्ञप्रियायै
यज्ञकर्ये
यजमानस्वरूपिण्यै
धर्माधाराये
धनाध्यक्षायै
धनधान्यविवर्धिन्यै
विप्रप्रियायै
विप्ररूपायै
विश्वभ्रमणकारिण्यै
विश्वग्रासायै
विद्रमामायै
८८०
८९०
जन्ममृत्युजराततजन-
विश्रान्निदायिन्यै नमः
सर्वोपनिषदुष्टायै
शान्त्यतीतकलात्मिकायै
गम्भीरायै
गगनान्तरस्थायै
श्रीललितासहस्रनामावलिः
गर्वितायै
गानलोलुपायै
कल्पनारहितायै
काष्ठाये
अकान्तायै
कान्तार्ध विग्रहायै
कार्यकारण निर्मुक्तायै
काम
के लितर द्वितायै
कनस्कनकताटकायै
लीलाविग्रहधारिण्यै
८६०
अजाये
क्षयविनिर्मुक्तायै
मुग्धायै
क्षिप्रप्रसादिन्यै
व्यन्तर्मुखसमाराध्यायै ८७०
ओं बहिर्मुख सुदुर्लभायै नमः
वय्ये
त्रिवर्गनिलयायै
त्रिस्थायै
त्रिपुरमालिन्यै
निरामयायै
निरालम्बायै
स्वात्मारामायै
सुधास्रुत्यै
संसारपङ्क निर्मग्न समुद्ध-
रणपण्डितायै
यज्ञप्रियायै
यज्ञकर्ये
यजमानस्वरूपिण्यै
धर्माधाराये
धनाध्यक्षायै
धनधान्यविवर्धिन्यै
विप्रप्रियायै
विप्ररूपायै
विश्वभ्रमणकारिण्यै
विश्वग्रासायै
विद्रमामायै
८८०
८९०