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श्रिललितासहस्रनामावलिः
 
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नमः ओं अनाहताब्जनिलयायै नमः
 
श्यामाभायै
 
वदनद्वयायै
 
दंष्टोज्ज्वलायै
 
अक्षमालादिवरायै
रुधिरसंस्थितायै
कालरात्र्यादिशक्त्यौघवृतायै
स्निग्धौदन प्रियायै
 
ऑ सुरनायिकायै
कालकण्ठ्ये
कान्तिमध्ये
 
क्षोभिण्यै
सूक्ष्मरूपिण्यै
 
वज्रेश्वर्ये
 
वामदेव्यै
 
वयोवस्थाविवर्जितायै ४७०
 
सिद्धेश्वर्यै
सिद्धविद्यायै
 
सिद्धमात्रे
 
यशस्विन्यै
विशुद्धिचक्रनिलयायै
 
आरक्तवर्णायै
 
त्रिलोचनायै
 
महावीरेन्द्रवरदायै
 
राकिण्यम्वास्वरूपिण्यै
मणिपूरा ब्जनिलयायै
 
वदनत्रयसंयुतायै
वज्रादिका युधोपेतायै
डामर्यादिमिरावृतायै
 
त्वक्स्थायें
 
लोकम
यमृतादिमहाशक्तिसंवृतायै
डाकिनीश्वर्ये
 
४९०
 
रक्तवर्णायै
 
खट्वाङ्गादिप्रहरणायै
 
मासनिष्ठायै
 
वदनैकसमन्वितायै
पायसान्नप्रियायै ४८० समस्तभक्तसुखदायै
 
गुडान्नप्रीतमान साथै
 
लाकिन्यम्वास्वरूपिण्यै
 
स्वाधिष्ठानाम्बुजगतायै
चतुर्वक्त्रमनोहरायै
शूलाचायुसम्पन्नायै
 
५००