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श्रीललितासहस्रनामावलिः
 
ओंजडात्मिकायै
गायत्र्यै
व्याहृत्यै
सन्ध्यायै
द्विजवृन्द निपेवितायै
तत्त्वासनायै
 
*तस्मै
 
तुभ्यं
 
अय्य
 
पञ्चकोशान्तरस्थितायै
निःसीममहिम्ने
नित्ययौवनायै
मदशालिन्यै
मदघूर्णितरक्ताक्ष्यै
मदपाटलगण्डभुवे
चन्दनद्रवदिग्धायै
 
चाम्पेय
कुसुम प्रियायै
कुशलाये
कोमलाकारायै
 
कुरुकुलायै
कुलेश्वर्ये
कुलकुण्डालयायै
 
नमः ।ओं कौलमार्ग तत्परसेवितायै नमः
कुमारगणनाथाम्बायै
 
४२०
 
४३०
 
तुष्टये
 
पुथ्यै
 
मत्ये
धृत्यै
शान्त्यै
 
स्वस्तिमध्ये
 
कान्त्यै
नन्दिन्यै
विनाशिन्यै
 
तेजोवत्यै
त्रिनयनायै
लोलाक्षीकामरूपिण्यै
 
मालिन्यै
इंसिन्ये
मात्रे
 
गल्याचलवासिन्यै
 
सुमुख्यै
 
नलिन्यै
 
सुवे
शोमनाये
 
४५०
 
४६०
 
४४०
 
●"तस्मयो" इत्यस रात, घं, अयी इति त्रिधा विभज्य तस्मे नमः,
तुम्य नमः, अय्यै नमः इति माध्यवारैः व्यख्यातम् ।