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श्रीललितासहस्रनामावलिः
 
ओं पञ्चप्रेतासनासीनायै नमः ओं ईश्वर्यै
पञ्चब्रह्मस्वरूपिण्यै २५०
 
130
 
चिन्मय्यै
परमानन्दायै
विज्ञानघनरूपिण्यै
ध्यानध्यातृध्येय रूपायै
 
धर्माधर्मविवर्जितायै
 
विश्वरूपायै
 
जागरिण्यै
 
स्वपन्त्यै
 
तैजसात्मिकायै
 
सुप्तायै
प्राज्ञात्मिकायै
 
तुर्यायै
सर्वावस्थाविवर्जितायै
 
सृष्टिक
 
ब्रह्मरूपायै
 
गोये
 
२६०
 
गोविन्दरूपिण्यै
 
संहारिण्यै
रुद्ररूपायै
 
तिरोधानक २७०
 
सदाशिवायै
अनुग्रहदायै
पञ्चकृत्यपरायणायै
भानुमण्डलमध्यस्थायै
भैरव्यै
भगमालिन्यै
 
पद्मासनायै
 
गगवत्यै
 
नमः
 
पद्मनाभसहोदर्यै २८०
उन्मेषनिमिपोत्पन्नविपन्न-
भुवनावल्यै
सहस्रशीर्षवदनायै
 
सहस्राक्ष्यै
सहस्रपदे
आमाकीटजनन्यै
 
वर्णाश्रमविधायिन्यै
 
निजाज्ञारूप निगमायै
 
पुण्यापुण्यफलप्रदायै
श्रुतिसीमन्तसिन्दूरीकृत-
पादाब्जधूलिकायै
सकलागमसंन्दोहशक्तिसं-
टमौक्तिका २९०