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श्रीललितासहस्रनामावलिः
 
ओं अकुलायै
 
ओं महापाशुपतास्त्राग्निनिर्दग्धा-
सुर सैनिकायै
कामेश्वरात्र निर्दग्धस-
नमः
 
भण्डासुरशून्य कार्य
 
ब्रह्मोपेन्द्र महेन्द्रादिदेव-
संस्तुतवैभवायै
हरनेत्राग्नि सन्दग्धकामसं-
जीवनौषध्ये
 
श्रीमद्वाग्मच कूटैक स्वरूप-
मुखपङ्कजाये
कण्ठाधः कटिपर्यन्तमध्य कूट-
कुलाङ्गनाये
कुलान्तःस्थायै
 
कौलिन्यै
 
कुलयोगिन्यै
 
स्वरूपिण्यै
शक्ति कूटैकतापन्न कट्यधो-
भागधारिण्यै
मूलमन्त्रात्मिकायै
 
मूलकूटत्रय
कलेचरायै
कुलामृतैकर सिकायै ९०
 
कुलसङ्केतपालिन्यै
 
समयान्तःस्थायै
समयाचारतत्पराये
मूलाधारै कनिलयायै
ब्रह्मग्रन्थिविभेदिन्यै १००
मणिपूरान्तरुदिता यै
 
विष्णुग्रन्थि विभेदिन्यै
 
आज्ञाचकान्तरालस्थायै
 
रुद्रग्रन्थिविभेदिन्यै
 
सहस्राराम्बुजारूढायै
 
सुधासाराभिवर्षिण्यै
 
तटिलतासमरुज्यै
पट्चक्रोपरिसस्थितायै
 
महासक्त्ये
कुण्डलिन्यै
बिसतन्तुतनीयस्यै
भवान्यै
भावनागम्यायै
मवारण्यकुठारिकायै
 
भद्रप्रियायै
मद्रमूर्त्यै
भक्तसौभाग्यदायिन्यै
 
नमः
 
११०