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नाग-- (पुरोऽवलोक्य) सन्निहितो माढव्य:।
(ततः प्रविशति विदूषकः।)
विदू-- णमो भअवदीए। [नमो भगवत्यै।]
नाग-- माढव्य सुखमास्यताम्।
विदू-- कहं मह सुहासिआ। कहेहि कदा मे पोम्मावईविवाहो।
[कथं मे सुखासिका। कथय कदा मे पद्मावती विवाह:।]
नाग-- (सहासम्) गणेशेन समं तव विवाहः।
विदू-- क अं परिहासेण। सच्चं कहेहि। [कृतं परिहासेन।
सत्यं कथय।]
साग-- भविष्यति स[^1] विलम्बेन।
विदू-- (स्वगतम्) हा हदोम्हि। (क्षणं विषादेन स्थित्वा प्रकाशम्)
किंकओसोविळंबो। [हा हतोऽस्मि। किंकृतः स विलम्ब:।
(नागरिका सागरिकोक्तं सर्वमस्मै कथयति।)
विद्व-- (श्रुत्वा) चउत्थोवा असज्झो मह व अस्सस्स अ विवाहो।
व अस्सो दअद्दचित्तो दंडेण ण साहेदि।
तदो लवे णिवेदिअ कज्जं साहणिज्जं।
[^1]M, T2, TC. omit स
(ततः प्रविशति विदूषकः।)
विदू-- णमो भअवदीए। [नमो भगवत्यै।]
नाग-- माढव्य सुखमास्यताम्।
विदू-- कहं मह सुहासिआ। कहेहि कदा मे पोम्मावईविवाहो।
[कथं मे सुखासिका। कथय कदा मे पद्मावती विवाह:।]
नाग-- (सहासम्) गणेशेन समं तव विवाहः।
विदू-- क अं परिहासेण। सच्चं कहेहि। [कृतं परिहासेन।
सत्यं कथय।]
साग-- भविष्यति स[^1] विलम्बेन।
विदू-- (स्वगतम्) हा हदोम्हि। (क्षणं विषादेन स्थित्वा प्रकाशम्)
किंकओसोविळंबो। [हा हतोऽस्मि। किंकृतः स विलम्ब:।
(नागरिका सागरिकोक्तं सर्वमस्मै कथयति।)
विद्व-- (श्रुत्वा) चउत्थोवा असज्झो मह व अस्सस्स अ विवाहो।
व अस्सो दअद्दचित्तो दंडेण ण साहेदि।
तदो लवे णिवेदिअ कज्जं साहणिज्जं।
[^1]M, T2, TC. omit स