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(दृशौ निमीलय स्मृत्वा)
कर्पूरसान्द्रहरिचन्दनलेपन वा
यन्त्रस्थचन्द्रगलितामृत
हेमन्त हैमवत निर्झरमज्जन वा
 
तस्याः स्तनाग्रघटनेन मयानुभूतम् ॥४३॥
(हशावुब्मील्य)
 
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विदू- मन पोन्नावइ हिअअसी संकुत्ता। तदो
नामद चिंता सत्तागर्नस असंकळे
मानन नागस कीरगहे सा दुवृंदासो ठाविदो । एव्वं
अर्थवि में वासोर पुत्तयो मअग: बाह्र अज्ज हे-
वेदावो कुत्ताव सेदो कुहा वि रोमचो ।
नअणेज ॥ ४५ ॥
 
यह मासँ वि चिंताद्‌करिज हा हदोहि
 
तुनं ६५ळत्तणेण नजणन्नि ण कुप्पेस ता जुवराए
ल्वे जिवंदइस्सम्। (इत्युत्थाल मिच्छति)
 
4.. कि. हि सेवनं
 
2. M. T2. TC - छत्रागारे
 
3. M
 
Te
 
मोलिब्यस्ताञ्ञ्जलि किसलयं वक्त्रमा वृत्तकण्ठ्या:
भ्यद्दृष्टिस्फुरद धरसंलक्षितामन्त्रणीति ।
पश्यन्त्या माँ स्वयनुपगत प्रस्खलन्मन्दहासं
चित्रागारे जन विलिखितं चेतसीव स्मरेण ॥४४॥
 
B-

 
सेन्चनं था।
 
A
 
नऊ ज
 
अनअ
 
A.72 काराव्यदे
 
Te- का आधारे
 
5.M, 12 - दासीए
 
-
 
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