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क्षणमन्यतो नीता। वत्से कुमुद्वति त्वरितं पूजा समाप्यताम्

 
कुमु-- (उपविश्य विधिदेव लघु पूजाँजां समाप्य) साअरिए

कृण्णआ कैस्सकस्स[^1] देआ [^2]? [सागरिके कन्यका कस्य देया?]

 
साग, सूक्ष्म च-- (अपवार् पद्मावतीमानीय) इयमस्मै राज-
प्रियाय
माढण्यासव्याय वटवे प्रदेशा'या। (इति दूरस्थितं माढव्यं
दर्शयतिः)
 
-
 
1
 
कुंभु
ति।)
 
कुमु-
- (अपवार्य) अवस्स अन्सं अस्स अय्य उत्तव अस्सस्स कण्णआ
देया।
देया।
[अवश्यमस्नैमै आर्यपुत्रवमस्याय कव्यस्याय कन्यका देया
।]
 
साग -- (संज्ञया माढव्यमानीय) अयमसौ माढव्यः
कुछ

 
कुमु-
- (सूक्ष्मदर्शिनीदत्तातां पद्मावतीतीं तदनुसया) ऐज्ञया) एसा दे सह-
धन्म[^3]चारिणी
होज्जा (इति माढव्यस्य करेऽर्पयति)

[
एषा ते सहधर्मचारिणी भविष्यति
विद्व
।]
 
विदू-
- (सानन्दम्) णाअराअकुमारिए मह कण्णा दारोण नुणेथा तु
वि इनके क
वि झत्ति
कळ्ळा
णं भविस्सदि। [नागराजकुमारि के मन
कन्या
कन्या[^4]दानेन तवापि
झटिति कल्याणं भविष्यति
 
कुछ अनहदेखि

 
कुमु—अणुमहीदेहि। [
अनुगृहीतास्त!
 
-
 
मि।]
 
साग-- माढव्य तव तु कल्याणं कुमुदाकमव्नुमत्या भविष्यति

(विदुषक: समुखभङ्गं: निवृत्त)
 
27
:।)
 
[^1]T1,
T2- कस्
 
a

[^2] A
ll mss. red Aad स्पष्ट
 
न् and omict chāya
 
ā.
[^
3. ]TC- धन्मचाळिंळिनी
 

[^
4.] All mss. have
 
कन्या पढ़ा
कन्याप्रदाने
 
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