2023-02-26 07:32:06 by Gannu_css
This page has been fully proofread once and needs a second look.
राजा
दिशि दिशि विकिरन्ती वृन्दमिन्दीवराणां
चतुरमनुसरन्ती
स्मरकृतशरवृष्टिस्पर्धिनी दृष्टिरस्या
निपतति कि
विद्र-- (राजानं हस्तेन
अत्तणो, चक्
सोत्तं वि घे
आत्म
श्रोत्रमपि गृहीत्वा प्रस्थिता
राजा
हरणेन दुःखि
वि
प
णहि परेण
हृदये धारि
[^1
[^2
[^3]T.
[^4]M- जीवरअणं
[^5]M- तुअच्चिअ; T.
5
5
तुल
[^* ]T₂ omits from
.
1
125