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चतुर्थोऽङ्क
 
:
 
(ततः प्रविशति नागरिका)
नाग- अघ

नाग-- अद्य
कुमुद्वतीवृत्ताब्लोन्तो नोपलब्धः। वत्सेन

पृष्ठाटा किं [^1] कमायानि! (समन्तादवलोक्य) दूरे

नागकन्यकाइयेद्वयं सञ्चरति । ते पृच्छामि .
(इत्युपसृत्य)
कन्यके किमर्थमन्त्रागते भवत्यौ ?

 
कन्यके -- नागरा अंकण्णआ कुमुज्जईए मूळिआ गहीह्नीमो

[नागराजकन्यकायै कुमुद्वत्यै मूलिकां गृह्णीमा ]
 
1
 
नाग
म:।]
 
नाग--
कस्तस्या रोगः ?

 
कन्यके -- माणससन्दावेण
 
परिण
उम्मादो
 
[

[
मानससन्तापेन उन्माद: परिणत: []
नाग
।]
 
नाग-
- (सोहेद्वेगम्) कीदृशस्तस्य उन्मादः ? विस्तरेण

कथयतम्
 

 
कन्यके [^2]-- अम्हा अवसरों पणं अवसरो णत्थि। कंचुई ताडे
 
इ।
गच्छामी। साअरिआ णाअळोआदो पँडिपट्ठिदा
 
[^3]।
सा आजवुन सर्वअ सव्वं दे कहइस्सादसदि। [आवयोः
 
77

 
[^1]M,T
2- <flag क flag>
[^2]T1,T2-
कन्ये
 
२४ महिले
 
-
 
196
 

[^3]T- <flag पघरिदो flag>