2023-06-16 07:55:09 by jayusudindra

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आवरण
न [आवरण] आच्छादित करने वाला, तिरोहित करने

वाला। (प्रव. १५) विगदावरणंतरायमोहरओ। (प्रव. १५)

 
आवरिय
वि [आवृत] आच्छादित ढंका हुआ ।चरियावरिया

(मो. ७३)
 

 
आवलि
स्त्री [आवलि] समयविशेष, एक सूक्ष्म कालपरिमाण,

व्यवहार काल का एक भेद । असंख्यात समय की एक आवलि

होती है। (निय. ३१) समयावलिभेदेण दु दुवियप्पं अहव होइ

तिवियप्पं । (निय. ३१)
 

 
आवसध
पुं [आवसथ] घर, विश्राम करने का स्थान, विश्रामस्थल,

आश्रयस्थान । ( प्रव. चा. १५) आवसधे वा पुणो विहारे वा ।

( प्रव.चा. १५)
 
आवस्सय

 
आवस्सय
वि [आवश्यक] नित्यकर्म, अनुष्ठान, आवश्यक कर्म ।

(प्रव.चा. ८) मुनियों के अट्ठाईस मूलगुणों में छह आवश्यक होते

हैं।
 

 
आवास / आवासय
वि [आवश्यक] आवश्यककर्म, जो परपदार्थों के

भाव को छोड़कर निर्मल स्वभाव युक्त आत्मा को ध्याता है, वह

आत्मवश है और उसके कर्म को आवश्यक कहा जाता है।

परिचत्ता परभावं, अप्पाणं झादि णिम्मलसहावं । अप्पवसो सो

होदि हु, तस्स दु कम्मं भांति आवासं ॥ (निय. १४६)
आवास

 
आवास
पुं [आवास] निवास स्थान, गृह, निलय । बहुदोसाणावासो।

(भा. १५४) गिरिसरिदरिकंदराइ आवासो। ( भा. ८९ ) पर्वत,

नदी, गुहा और खोह आदि निवास स्थान हैं।
 
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