2023-06-14 00:20:51 by suhasm
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(निय. २३) छायातवमादीया । (निय. २३)
आतावण पुं न [आतापन] आतापन, योग का एक नाम जिसमें
गर्मी में गर्मी को अग्रसर कर व सर्दी में सर्दी को अग्रसर कर ध्यान
किया जाता है।
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आद पुं [आत्मन् ] आत्मा, जीव, चेतन । ( स. ८५, प्रव. ८, मो.
५५) जं कुणदि भावमादा । ( स. १२६) आद का प्रथमा एकवचन
में आदा रूप बनता है। आदम्हि ( स.ए.स. २०३ ) - अत्थ पुं न
[अर्थ] आत्मार्थ, आत्मा के प्रयोजन हेतु । (बो. ३) पधाण वि
[प्रधान] आत्मप्रधान, आत्मा की विशेषता, आत्मा की मुख्यता ।
(प्रव. चा. ६४) वियप्प वि [विकल्प] आत्मविकल्प । आदवियप्पं
करेदि संमूढो। (स.२२) - सहाव पुं [ स्वभाव ] आत्मस्वभाव।
आदसहावं अयाणंतो। (स. १८५) - समुत्थं वि [समुत्य] आत्मा से
उत्पन्न । (प्रव.१३) अइसयमादसमुत्थं ।
आदद वि [आतत] व्याप्त, फैलाया हुआ, विस्तारित । ( प्रव. ज्ञे.
४४) धम्माधम्मेहि आददो लोगो ।
आदाण पुं न [आदान] ग्रहण, स्वीकार, आदान, एक समिति का
नाम । (चा. ३७) सा आदाण चेव णिक्खेवो । (चा. ३७)
आदा सक [आ+दा] ग्रहण करना, स्वीकार करना । आदाय (सं. कृ.
प्रव. चा. ७) आदाय तं पि गुरुणा ।
आदावण न [आतापन] आतप को सहन करना, आदान समिति ।
आदावण-णिक्खेवणसमिदी। (निय.६४)
आदि पुं [आदि] प्रथम, प्रमुख, प्रधान, पहले। ( स. ४८)
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