2023-06-16 06:17:47 by jayusudindra
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वि [अतिशय] अतिशय, चमत्कारपूर्ण, आश्चर्यजनक।
(निय.७१)
अदिस्समाण
व. कृ. [अदृश्यमान] नहीं दिखाई देता हुआ ।
अदीद वि [अतीत ] परे । (पंचा. ३५) वचिगोयरमदीदा ।
(पंचा. ३५)
अद्ध
पुं न [अर्ध] आधा, एक का आधा। अद्धं भणंति देसोत्ति
(पंचा.७५) -अद्धं पुं न [अर्ध] आधे का आधा, चौथाई भाग।
अद्धद्धं च पदेसो। (पंचा. ७५)
अध
अध
अ [अथ] अब, इसके बाद, इसके पश्चात् । (पंचा. ३७,३८)
सस्सधमध उच्छेदं । (पंचा. ३७)
अधम्म
पुं [अधर्म] पाप, अनीति, अनाचार । ( स. २११) अपरिग्गहो
अधम्मस्स, जाणगो तेण सो होदि। (स. २११)
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अधम्म
पुं [अधर्म ] द्रव्य का एक भेद, अधर्म। जो जीव और पुद्गलों
के उहराने में सहायक होता है, वह अधर्मद्रव्य है। यह बहुप्रदेशी
होने से अस्तिकाय है। ठिदिकिरियाजुत्ताणं, कारणभूदं तु पुढवीव ।
(पंचा.८६, निय. ३०) -च्छि पुं [अस्ति] अधर्मास्तिकाय ।
(स.ज.वृ. २११)
अधवा
अ [अथवा ]
दव्वाणंतियमधवा । (पंचा.४४)
अथवा, या, और । ( पंचा. ४४)
अधारणा
स्त्री [अधारणा] जो लाभदायक न हो, अधारणा ।
( स. ३०७) इसे अमृतकुम्भ के आठ भेदों में गिनाया है।
अप्परिहारो अधारणा चेव । ( स. ३०७ )
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