2023-06-18 08:10:47 by jayusudindra
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[रहित] पाप रहित । (द. ६) -हर वि [हर] पाप को हरण करने
वाला । (मो. ८४) -हेतु पुं [हेतु] पाप के कारण । (निय.६७)
पास
पास
पुं [पार्श्व] पार्श्वनाथ, तेइसवें तीर्थङ्कर का नाम । (ती. भ. ५)
पासंडि
वि [पाखण्डिन्] पाखण्डी, ढोंगी, लोकप्रतिष्ठा के लिए
धर्माचरण करने वाला । (स.४०८, ४१०, भा. १४१ )
पासअ
वि [दर्शक] देखने वाला, दृष्टा, दर्शक। (स. ३१५)
पासत्थ
वि [पार्श्वस्थ] छल-कपट करने वाला, अपने वेश के
अनुकूल न चलने वाला, शिथिलाचारी। (भा. १४, लिं.२०)
पासुग
वि [प्रासुक] परिशोधित, परिमार्जित, जन्तुरहित, हरितपने
से रहित। (निय.६१,६३, ६५ ) - भूमि स्त्री [भूमि] प्रासुक भूमि,
प्रासुक क्षेत्र। (निय.६५) -मग्ग पुं [मार्ग] प्रासुक मार्ग, जो रास्ता
चलना आरम्भ हो चुका हो। (निय.६१)
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पाहुड
न [प्राभृत] 1. अध्याय विशेष प्रकरण विशेष। (चा.२,
मो. १०६, लिं. १) 2. भेंट, उपहार ।
}
पि
अ [अपि] भी, निश्चय ही । ( स. १६९, प्रव.ज्ञे. ११, निय. १३५ )
अट्ठविहं पि। (स.४५)
पिंड
पुं [पिण्ड] 1. समूह, संघात, स्कन्ध रूप । (प्रव.ज्ञे.६९) पिंडो
परमाणुदव्वाणं । (प्रव.ज्ञे.६९)2.आहार, भोजन। (सू.२२) भुंजइ
पिंडं सुएयकालम्मि ।
पिंडी
स्त्री [पिण्डी] गोलाकार वस्तु, ताड वृक्ष, बांस आदि ।
( स. २३८ ) ।
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