2023-06-14 00:25:16 by suhasm
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दुराधिग/दुराधिय वि [द्वि + अधिक ] दो से अधिक, दो अधिक।
(प्रव.ज्ञे.७३) समदो दुराधिगा जदि बज्झंति हि आदि परिहीणा।
दुल्लह वि [दुर्लभ] कठिनाई से प्राप्त होने वाला, दुःख से प्राप्त होने
वाला। (द. १२) बोही पुण दुल्लहा तेसिं ।
दुविध वि [द्विविध] दो प्रकार का । (पंचा.४७)
दुवियप पुं [द्विविकल्प] दो भेद, दो प्रकार । (निय. १४,१६,२०,
पंचा.७१)
दुविह वि [द्विविध] दो प्रकार का, दो रूप वाला। (पंचा. ४०,
स.८७, द.१४) उवओगो खलु दुविहो । (पंचा. ४०) - धम्म पुं न
[धर्म ] दो प्रकार का धर्म दो प्रकार का स्वभाव । (भा. १४३)
- पयार पुं [प्रकार ] दो प्रकार । दुविहपयारं बंधइ । (भा. ११८)
-पिअ [अपि] दोनों ही। दुविहं पि गंथचायं । (द.१४) - सुत्त न
[सूत्र] दो प्रकार के सूत्र, दो प्रकार के श्रुत, दो प्रकार के आगम।
अर्थ और शब्द की अपेक्षा सूत्र, आगम या श्रुत दो प्रकार का है।
(सू. ३)
दुस्स सक [द्विष्] द्वेष करना । (प्रव.चा. ४३) दुस्सदि (व.प्र.ए.)
दुस्सुदि स्त्री [दुःश्रुति ] मिथ्याश्रुति, मिथ्याशास्त्र का श्रवना, आप्त
कथित अर्थयुक्त शास्त्र को न सुनना । (प्रव.जे. ६६)
दुस्सील वि [दुश्शील ] दुःशील, शील से रहित । (द.१६,१७)
दुह पुं न [दुःख] कष्ट, पीड़ा, क्लेश । (भा. १४, १२६, मो ६२ )
दुहाइं (द्वि.ब.भा. १२६) दुहे जादे विणस्सदि। (मो. ६२)
दुह सक [दुःखय्] दुःखी करना, पीड़ित करना । (स.२५७,२५८)
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दुराधिग/दुराधिय वि [द्वि + अधिक ] दो से अधिक, दो अधिक।
(प्रव.ज्ञे.७३) समदो दुराधिगा जदि बज्झंति हि आदि परिहीणा।
दुल्लह वि [दुर्लभ] कठिनाई से प्राप्त होने वाला, दुःख से प्राप्त होने
वाला। (द. १२) बोही पुण दुल्लहा तेसिं ।
दुविध वि [द्विविध] दो प्रकार का । (पंचा.४७)
दुवियप पुं [द्विविकल्प] दो भेद, दो प्रकार । (निय. १४,१६,२०,
पंचा.७१)
दुविह वि [द्विविध] दो प्रकार का, दो रूप वाला। (पंचा. ४०,
स.८७, द.१४) उवओगो खलु दुविहो । (पंचा. ४०) - धम्म पुं न
[धर्म ] दो प्रकार का धर्म दो प्रकार का स्वभाव । (भा. १४३)
- पयार पुं [प्रकार ] दो प्रकार । दुविहपयारं बंधइ । (भा. ११८)
-पिअ [अपि] दोनों ही। दुविहं पि गंथचायं । (द.१४) - सुत्त न
[सूत्र] दो प्रकार के सूत्र, दो प्रकार के श्रुत, दो प्रकार के आगम।
अर्थ और शब्द की अपेक्षा सूत्र, आगम या श्रुत दो प्रकार का है।
(सू. ३)
दुस्स सक [द्विष्] द्वेष करना । (प्रव.चा. ४३) दुस्सदि (व.प्र.ए.)
दुस्सुदि स्त्री [दुःश्रुति ] मिथ्याश्रुति, मिथ्याशास्त्र का श्रवना, आप्त
कथित अर्थयुक्त शास्त्र को न सुनना । (प्रव.जे. ६६)
दुस्सील वि [दुश्शील ] दुःशील, शील से रहित । (द.१६,१७)
दुह पुं न [दुःख] कष्ट, पीड़ा, क्लेश । (भा. १४, १२६, मो ६२ )
दुहाइं (द्वि.ब.भा. १२६) दुहे जादे विणस्सदि। (मो. ६२)
दुह सक [दुःखय्] दुःखी करना, पीड़ित करना । (स.२५७,२५८)