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णिरहंकार वि [निरहंकार ] घमण्ड रहित, मृदुता, अहंकार का
अभाव। (बो.४८)
 
णिराउह वि [निरायुध] शस्त्रहीन, शान्तचित्त । (बो.५०)
णिरायार वि [निराकार] आकृति रहित, निर्दोष । (सू. १९)
परिगहरहिओ णिरायारो । (चा. २१)
 
णिरालंब वि [निरालम्ब ] आश्रय रहित । (निय ४३)
णिरावेक्ख वि [निरपेक्ष ] अपेक्षा रहित, निःस्पृह, इच्छारहित ।
पांच महाव्रतों से युक्त, पञ्चइन्द्रियों को वश में करने वाला
निरपेक्ष, निःस्पृह होता है। (बो.४३, ४७) व्रत एवं सम्यक्त्व से
विशुद्ध पञ्चेन्द्रियसंयत इस लोक तथा परलोक सम्बंधी
भोग- परिभोग से निःस्पृह होता है। (बो. २५) वयसम्मत्तविरुद्धे,
पंचेदियसंजदे णिरावेक्खे । (बो. २५)
 
णिरास वि [निराश] आशा रहित, तृष्णा रहित, उदासीन ।
(बो.४६) -भाव पुं [भाव] निराशभाव। (बो.४९)
 
णिरंभ सक [नि+रुध्] निरोध करना, रोकना । णिरंभित्ता (सं. कृ.
प्रव.ज्ञे. १०४)
 
णिरुच्च सक [निर्+वद् ] कहना, बोलना । ( द्वा. ३९)
णिरुवम वि [निरुपम] उपमा रहित, असाधारण, अनुपमेय।
(बो. १२,२८)
 
णिरुवलेव वि [निरुपलेप] लेप रहित, बन्ध रज से रहित ।
(प्रव. चा. १८) कमलं व जले णिरुवलेवो ।
 
णिरुवभोज्ज वि [निरुपभोग्य] भोग्य से रहित, आसक्ति रहित,
 
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