2023-06-14 00:24:24 by suhasm
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णिच्छ अक [निश्च] मानना, निश्चयकरना, विचारना ।
(पंचा. ४५)
णिच्छा/णिच्छयपुं [निश्चय] नयविशेष, यथार्थ निर्णय का सूचक
पक्ष। (स.२१०, प्रव.९७, निय. २९) - अट्ठ वि [अर्थ ] निश्चय का
विषय, निश्चय का प्रयोजन, निश्चय का विचार । मोत्तूण
णिच्छयां। (स. १५६) -गद वि [गत ] निश्चय को प्राप्त हुआ,
निर्णय को प्राप्त हुआ। ( स. ३) - जयपुं [नय ] निश्चयनय ।
णिच्छयणयस्स एवं । (स.८३) णिच्छयदो ( पं.ए. निय. ५५,
स. २३९ ) - दण्डू वि [तज्ञ] निश्चय को जानने वाले, निश्चय को
समझने वाले। ( स. ६० ) -वाइ वि [वादिन् ] निश्चयवादी, निश्चय
का कथन करने वाले । (स.४३ ) -विदु वि [विद्] निश्चय को
जानने वाला, निश्चय का ज्ञाता, पण्डित । (स. ३३, ९७ ) भण्णदि सो
णिच्छयविहिं।
णिच्छिद वि [निश्चित] निर्णीत, निश्चित किया हुआ। (स.४८,
प्रव. चा. ४) भांति जे णिच्छिदा साहू। (स. ३१)
णिच्छित्ता वि [निश्चितत्व] निश्चितता। णिच्छित्ता आगमदो ।
( प्रव.चा. ३२)
णिज्ज अक [निर्+या] निकलना, ले जाना, चले जाना । ( स. २०९)
णिज्जदु ( वि. / आ. प्र. ए. स. २०९) कम्मेहि य मिच्छत्तं, णिज्जइ
णिज्जइ असंजमं चेव । ( स. ३३३)
णिज्जण न [निर्जन] एकान्तस्थान, मनुष्य से रहित क्षेत्र । देस पुं
[देश] निर्जन प्रदेश, एकान्त स्थान । णिज्जणदेसेहि णिच्च अत्थेइ ।
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णिच्छ अक [निश्च] मानना, निश्चयकरना, विचारना ।
(पंचा. ४५)
णिच्छा/णिच्छयपुं [निश्चय] नयविशेष, यथार्थ निर्णय का सूचक
पक्ष। (स.२१०, प्रव.९७, निय. २९) - अट्ठ वि [अर्थ ] निश्चय का
विषय, निश्चय का प्रयोजन, निश्चय का विचार । मोत्तूण
णिच्छयां। (स. १५६) -गद वि [गत ] निश्चय को प्राप्त हुआ,
निर्णय को प्राप्त हुआ। ( स. ३) - जयपुं [नय ] निश्चयनय ।
णिच्छयणयस्स एवं । (स.८३) णिच्छयदो ( पं.ए. निय. ५५,
स. २३९ ) - दण्डू वि [तज्ञ] निश्चय को जानने वाले, निश्चय को
समझने वाले। ( स. ६० ) -वाइ वि [वादिन् ] निश्चयवादी, निश्चय
का कथन करने वाले । (स.४३ ) -विदु वि [विद्] निश्चय को
जानने वाला, निश्चय का ज्ञाता, पण्डित । (स. ३३, ९७ ) भण्णदि सो
णिच्छयविहिं।
णिच्छिद वि [निश्चित] निर्णीत, निश्चित किया हुआ। (स.४८,
प्रव. चा. ४) भांति जे णिच्छिदा साहू। (स. ३१)
णिच्छित्ता वि [निश्चितत्व] निश्चितता। णिच्छित्ता आगमदो ।
( प्रव.चा. ३२)
णिज्ज अक [निर्+या] निकलना, ले जाना, चले जाना । ( स. २०९)
णिज्जदु ( वि. / आ. प्र. ए. स. २०९) कम्मेहि य मिच्छत्तं, णिज्जइ
णिज्जइ असंजमं चेव । ( स. ३३३)
णिज्जण न [निर्जन] एकान्तस्थान, मनुष्य से रहित क्षेत्र । देस पुं
[देश] निर्जन प्रदेश, एकान्त स्थान । णिज्जणदेसेहि णिच्च अत्थेइ ।
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