2023-06-17 10:52:52 by jayusudindra

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णिक्कसाय
वि [निष्कषाय ] कषाय रहित । (निय. १०५ )
 

 
णिक्काम
[निष्काम] अभिलाषा रहित, इच्छारहित, वासनारहित,

विषयासक्ति से रहित । (निय ४४)
 

 
णिक्कोह
वि [निष्क्रोध] क्रोध रहित, क्षमाशील, क्षमागुणवाला।

(निय ४४)
 

 
णिक्खेव
पुं [निक्षेप] निक्षेप, न्यास नाम, स्थापना, द्रव्य और भाव के

भेद से निक्षेप के चार भेद हैं। (चा. ३७)
 

 
णिगोद/णिगोय
पुं [निगोद] अनन्तजीवों का एक साधारण शरीर

विशेष, निगोद पर्याय। (भा. २८ ) -वासन [वास] निगोदवास,

निगोद स्थान । इस निगोद पर्याय में जीव ने अन्तर्मुहूर्त में छयासठ

हजार तीन सौ छत्तीस बार जन्म-मरण प्राप्त किया है। (भा. २८)

 
णिग्गंथ
पुं [निर्ग्रन्थ] संयत, मुनि, तपस्वी । (प्रव. चा. ६९, निय.

४४, बो.५८) जो पांच महाव्रतों से युक्त तीन गुप्तियों से सत

संयमी है, वह निर्ग्रन्थ है तथा वही मोक्षमार्गस्वरूप है। पंचमहव्वय

जुत्तो, तिहिं गुत्तिहिं जो य संजदो होई। णिग्गंथमोखमग्गो,सो होदि

हु वंदणिज्जो य। (सू. २०) बोधपाहुड में निर्ग्रन्थ शब्द को और

अधिक स्पष्ट किया गया है जो निर्दोष चारित्र का आचरण करता

है जीवादिपदार्थों को ठीक-ठीक जानता है और शुद्ध

सम्यक्त्वस्वरूप आत्मा को देखता है, वह निर्ग्रन्थ है। (बो. १०)

 
णिग्गद
वि [निर्गत] निःसृत, बाहर निकला हुआ। राया हु णिग्गदो

त्तिय । (स.४७)
 

 
णिग्गह
पुं [निग्रह] निरोध, वश में, अधीन। - मण पुंन [मनस् ] मन
 
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