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णिक्कसाय वि [निष्कषाय ] कषाय रहित । (निय. १०५ )
 
णिक्काम [निष्काम] अभिलाषा रहित, इच्छारहित, वासनारहित,
विषयासक्ति से रहित । (निय ४४)
 
णिक्कोह वि [निष्क्रोध] क्रोध रहित, क्षमाशील, क्षमागुणवाला।
(निय ४४)
 
णिक्खेव पुं [निक्षेप] निक्षेप, न्यास नाम, स्थापना, द्रव्य और भाव के
भेद से निक्षेप के चार भेद हैं। (चा. ३७)
 
णिगोद/णिगोयपुं [निगोद] अनन्तजीवों का एक साधारण शरीर
विशेष, निगोद पर्याय। (भा. २८ ) -वासन [वास] निगोदवास,
निगोद स्थान । इस निगोद पर्याय में जीव ने अन्तर्मुहूर्त में छयासठ
हजार तीन सौ छत्तीस बार जन्म-मरण प्राप्त किया है। (भा. २८)
णिग्गंथ पुं [निर्ग्रन्थ] संयत, मुनि, तपस्वी । (प्रव. चा. ६९, निय.
४४, बो.५८) जो पांच महाव्रतों से युक्त तीन गुप्तियों से सत
संयमी है, वह निर्ग्रन्थ है तथा वही मोक्षमार्गस्वरूप है। पंचमहव्वय
जुत्तो, तिहिं गुत्तिहिं जो य संजदो होई। णिग्गंथमोखमग्गो,सो होदि
हु वंदणिज्जो य। (सू. २०) बोधपाहुड में निर्ग्रन्थ शब्द को और
अधिक स्पष्ट किया गया है जो निर्दोष चारित्र का आचरण करता
है जीवादिपदार्थों को ठीक-ठीक जानता है और शुद्ध
सम्यक्त्वस्वरूप आत्मा को देखता है, वह निर्ग्रन्थ है। (बो. १०)
णिग्गद वि [निर्गत] निःसृत, बाहर निकला हुआ। राया हु णिग्गदो
त्तिय । (स.४७)
 
णिग्गह पुं [निग्रह] निरोध, वश में, अधीन। - मण पुंन [मनस् ] मन
 
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