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स्तबकः १ ]
 
काव्यकल्पलतावृत्तिः ।
 
काशी आशी: । अग्रे - शील शीकर शीतल शीत ।
 
आशु शिशु पशु परशु अग्रे - शुक शुभ शुचि शुभ्र अंशुक शूल शूद्र शूकर शुकल ।
 
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विष तुष झप मिष आमिष महिष पुरुष । अग्रे - षडास्य ।
 
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हास मास घास दास ध्वंस वत्स आवास अलस प्रास अंस मांस रस बिस त्रास
विश्वास समास साध्वस मानस तापस लालस पायस सारस विलास राक्षस अन्धतमस
कालायस कलहंस घनरस तामरस । अग्रे – सभा सती सव्य सद्यः असकृत् सम सदृक्
सरः सस्य सखी सखि सख्य अंसल आसन सकल सत्वर सतत समान सवन सदन
सज्जिन सनाभि सगोत्र सविण्ड समास समूह समुद्र सत्तम सनीड संदेश समुद्र सभा-
जन सहृदय सगर्भ सवास सन्तत सन्देह संहति सन्दोह सङ्ग्राम संयम सन्दान
सङ्कुल संवेग सम्भ्रम संरम्भ सन्धान सन्धा सन्धि सेतु सैकत सेना सेवक सौवीर
सोपान सोम ।
 
नासा हिंसा कासा रसा । अग्रे -सार्ध सानु सादि साल साधु साध्वस सारङ्ग
 
सारस साकल्य सारसन ।
 
असि । अग्रेसित अलिपुत्री असिधेनु सिन्धु सिन्दूर सिंहासन ।
 
1
 
दासी सारसी सरसी । अग्रे - पीर सीधु सीमन्त ।
 
तपस्विस्त्र । अग्रे - स्वा स्वर्ण स्वच्छन्द स्वामि स्वान्त सूत्र सूतृत सूद सूर सूरि
सूपकार ।
 
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सुरुध दुस्थ अस्थि कायस्थ । अग्रे - स्थाल स्थाली स्थली स्थपुट स्थपति स्थापक
स्थाम स्थान स्थेम स्थैर्य ।
 
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अगस्त्य अगस्ति अवध्वस्त व्यस्त त्रस्त समस्त वस्तु । अग्रे - स्तोत्र स्तुति
स्तव स्तन्य स्तबक आस्तरण स्तन स्तोम स्तोक स्तम्बकरि ।
 
शस्त्र अस्त्र वस्त्र । अग्रे-अस्त्र स्त्री ।
 
अजस्र अस्त्र अस्त्रि अश्रु । अग्रे – अस्त्र ।
 
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लास्य वयस्य हास्य आस्य सस्य रहस्य । अग्रे-स्मर स्मरण आस्य ।
 
वसु विभाव । अग्रे- सुन मुहुन् सुख सुत्री सुरा र सुरत सुरङ्गा समनः सुवर्ण
सुपर्ण सुन्दरी सुदर्शन ।
 
1
 
कुह गुह लेह सिंह रह: वाह देह ग्राह आरोह सन्नाह कलह विरह कटाह वराह
पटह गन्जवह गजारोह समारोह अप्रै-इर हरि हय हव्य हस्त हल हसित आहव
हयमार रहः रहंः अहः अहंयु: हंस अहङ्कार हन्त हन्त हेला हेति हेलि हेतु हेम
हेरिक होम ।
 
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गुहा विदेहा ईहा स्पृहा । अग्रे - आहार हाला हारि हार हास हास्य हारिद्र ।
अहि बोहि वहि ग्राहि दाहि । अग्रें-हिङ्गु हिंसा हिम दित अहित अहि
आहित हिमानी हिङ्गुल ।
 
मही वाही । अग्रे - हीन हीनवांदी ।
 
राहु बाहु बहु । अग्रे - द्रुत हुड आहुत ।
 
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