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अमरचन्द्रपतिकृता-
[ प्रतान: ३-
दूत दूति उदात्त दत्त उदेति उदित ददातु ददाति ददते दत्ते तुदति तुदतु हव हाव बाहु बाहवि
बहु ब
निशा अशनिः ईशान शनैः नाश अनिश शुना शूनः नाश ननाश कवि कम्बु बक कम्
अम्बिका केवा मन्द अमोद मुद्दा मोद मिमेदे दम मादाः सायम् सेयम् सोयम् असूया आय
अयसा यस्या अ
आयाम यम याम मयु मय अमेय आमय माया कुहु कुह माघ मेघ मोघ मघा शिशिर
शरत् शौरि शूर राशि शर सहस् सहसा सेहा हास हंस सोहम् सिंह साहस से
गगन गान नाग नग अनङ्ग काश आकाश कौशिक कुशिक केश कुश अङ्कुश शशक
शकम् शुक कोश अशोक शङ्का
तनु तनू नूतन नुन्न नेता नुति अश्र भर भार भीरु भूरि भरो रम्भा आरम्भ वियत्
वयस् वायु यव वायु युवन् अवयन् उवाय घन घनाघन कुकुल ककुभ कुम्भ भेक कुम्भी
अपाचि चम्पा चम्प अपच
अरोप पुरी उदीची उदञ्चत् जम्भ अभजत् अभ
भोज भुज पवि वापी अवपत् अपीपवत् उवाप पीवा अतिभी भूत भीति भित्ति भीता
भाषा अभाषि भूषा भिष
वाच अगमत् गम आगम मागाः छन्दः आच्छाद उच्छेद अच्छिदत् धातुः धाता धौत
आधौत अधीते अधीत अधत्त धत्ते धत्तः कंस सेक कसा अकस
जगौ काम मूक मोक किमु कामि
सु
सूत सुत सित असित आसित सन्ति सन्तु सतत सन्तत सेतु सोता सात मेना मेनाक
मना
जाया जय जेय अजयत् जीयात् यज युयोज सेना सेनानी सूना आसन्न आसीन
आसन नासा गुहा गुह हिङ्गु गूह अगूह अगाहि चण्डी चण्ड उच्चण्ड चौड चल
अञ्चल अचल चेल चोल चञ्चल चलाचल चाचलि चूला चुल्ला चुल्ली च
अचल
लाजा
स्थानमुरःकण्ठादि, तच्चित्रम् । यथा-
नेताऽनन्तनतोऽनन्तः सोऽद्यालासीदिलातले ।
घृतासिदासितोत्तालदनुसूनुनुतः सदा ॥
दन्त्यस्थानः ।
प्राज्यसत्त्वोर्वोजितस्फूतिर्चर्यो मर्यादयान्वितः ।
समुद्रवदमुद्रश्रीः सज्जो जयति सज्जिनः ॥ १ ॥
अकण्ठ्यः । एवमन्यत् । एते शब्दाः सुप्राप्यत्वान्न दर्शिताः ॥
गतिर्गत