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अमरचन्द्रयतिकृता-
[ प्रतानः ३-
।श
६
६
द
दॄ विदारणे ।
भोजने । इष आभीक्ष्ण्ये । परस्मैभाषा ॥
वृ
प
पॄ पूरणे । श्रु श्रवणे । अट्ट अनादरे । ल
ईड स्तुतौ । भुवोऽवक
परस्मैभाषा ॥
यु जुगुप्सायाम् । गृ विज्ञाने । ल
अङ्क लक्षणे । अङ्ग पदे लक्षणे च । अघ पापकरणे । अन्ध दृष्
।
आम आमन्त्रणें
आम आमन्त्रणे । परस्मैभाषा ॥
ली द्रवीकरणे । आ
नीलीनानलिलो
ललन्नलिननाले
द्व्यक्षरः ।
अथ
आलोक कल कीलाल कल
कल कील कलि काल कोल कुल कूल लोकम् लोक आकुल कङ्
लड़ा लक कॅ
लङ्का लक कंकेलि कील किलकिला किलकिल अलीक अलक ल
कटककूट कोटि कीट कीटिका कण्टिका कुटी कुट्टाक कटुकम् कटटम् कअट्ट
अटक कृत्तिका कृतान्त कान्त कुन्त अङ्कित कौतुक क
भात
आतङ्क कान्ति कृत्त अक्त उक्त मुक्त अर्क कार कारक राका कारिका क्रूर कीर वीर
कोरक कारा र
अकरोत् कारा अकिरत् नाक कानन कनक आनक अनेक नाकि अनीक अनीकिनी द्यौः
चुः
द्युः दया दायाद दयया
विदि
विवाद बुद्
आसार अस्तु सार सौरि सरसा सारस मस्तु अस्
मातृ तमप्रत्यय तमस् तातमीति मिमित मत अमुतः माति मातु मत्तम् मत्त तताम
अतमि तेमे लेखा आखण्डल खण्ड खल अखेल अखेलत् अखेलि खेल
खिल लेखा सुधा सन्धा सौध सिन्धु सीधु साधु असे
म
नर नीर नारी विधु बुध विधि वेधाः बन्ध वध वेध बाधा अधावत् अधावि धव वधू
सोम मास सम असम सामन् मांस मीमांसा सुम सीमन् सीमा असमत असमि अस
सामत् तारा उत्तरा तरस् तरु तीर रुत रत रेतस् अतर
अ
अर्ति आर्त अत्र अत्रि अन्
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