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विक्रेयपुस्तकानि - ( नाटकग्रन्थाः)
 
नाम.
 
की० रु०आ०
 
हनुमन्नाटक-- दीपिकासहित रामचरित्र पात्ररूप नाटकाफार वर्णनहै १-०
अभिज्ञानशाकुन्तलनाटक- कालिदासकृत दुप्यन्त और शकुन्तलाका चरित्र
 
१-४
 
रत्नावलीनाटक-सटिप्पणमूल
 
०-७
 
०-१०
 
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तथा भाषाटीका अतिमनोहर रचनाहै
 
मालविकाग्निमित्र नाटक - बालवोधिनी टीकासमेतम्
हनुमन्नाटक - भा० टी०
 
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काव्यग्रन्थाः ।
 
शिशुपालवध - (माघकाव्यम् ) मल्लिनाथकृतटीकासहितम् इसमें नार-
दजीको भगवद्दर्शन शिशुपालवधार्थ उद्धव बलराम श्रीकृष्णको
निमंत्रण द्वारका समुद्रवर्णन रैवतपर्वतवर्णनादि २० सर्गम अपूर्व
काव्य हैं विद्यार्थी लोग अवश्य पढके प्रसंगोपात्त उदाहरण देसकते है २-८
तथा पूर्वार्द्ध ९ सर्गमें
 
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रघुवंशमहाकाव्यं कालिदासकृत - मल्लिनाथकृत
 
संजीवनी टीका और
टिप्पणी समेत इसमें राजादिलीपसे लेकर. लवकुशके चरित्र तक
१९ सर्ग हैं विद्यार्थियोंको परम उपयोगी है इसकी महिमा कौन नहीं
जानता ? पक्की जिल्द
 
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तथा
 
सादीजिल्द
 
रघुवंशमहाकाव्यं सटीक तथा रामकृष्णाख्य विलोम काव्य-सटीक
ये दोनोंका एक गुटका है बारीक अक्षर
 
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रघुवंशमहाकाव्यं - पं० ज्वाप्रसाद मिश्रकृत सान्वय भाषाटीका पदयोजना
तात्पर्यार्थ और सरलार्थसहित ग्लेज
 
3-0
 
१-८
 
३-८
 
तथा रफ कागज
 
*120
 
रघुवंशमहाकाव्य - ( पंचसर्ग ५ भा. टी. ) उपरोक्त अलंकारों समेत १०४