This page has not been fully proofread.

श्लोकानुक्रमणिका
 
ŚLOKANUKRAMANIKA
 
1. नखस्तुतिः
 
पान्त्वस्मान् पुरुहूतवैरि बलवन्मातङ्ग
 
लक्ष्मीकान्त समन्वतोऽपि विकलयन्
 
2 वायुस्तुतिः
 
अस्तव्यतं समस्त तिगतमधमै
अस्मिन्नमस्मद् गुरुणां हरिचरणरध्यान
अस्याविष्कर्तुकामः कलिमल कलुषे
 

 

 
आक्रोशन्तो निराशा भयभरविवशाः
आनन्दान्मन्दमन्दा ददति हि मरुतः
आज्ञामन्यैरघार्या शिरसि परिसरत्
 

 
उत्कण्ठाकुण्ठकोलाहलजवविदिता
उत्तप्तात्युत्कटत्विट् प्रकटकटकटध्वान
उद्यद्विद्युत् प्रचण्डां निचरुचि निकर
 
उद्यन्मन्दस्मित श्रीमृदुमधुमधुरालाप
 
....
 
...*
 
....
 
....
 
....
 
VERSE NO.
 
1
 
2
 
37
 
12
 
4
 
31
 
10
 
38
 
2
 
11
 
5
 
33
 
PAGE NO
 
1
 
29
 
11
 
-5.
 
25
 
9
 
30
 
10
 
5
 
नं
 
26