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शरणागतस्य शरण्यविषये नैर्भर्यम्

भगवति अन्त्यकालिकस्मृतिप्रार्थना
 

 
श्रीरङ्गगद्यम्
 

 
XV
 

 
भगवद्दिव्यगुणानुसन्धानपूर्वकं तदनुगुणस्वभावाविर्भावतः

स्वस्य भगवति नित्यकैङ्कर्यलाभप्रार्थना
 

 
स्वगताकिञ्चन्य अनन्यगतित्वचिन्तनपूर्वकं भगवञ्चरणारविन्दशरणागतिः

शरण्ये भगवति महाविश्वासपूर्वकं नित्यकिङ्करतालाभप्रार्थना
 

 
भगवदनुभवकारित प्रीतिजन्यदास्यादिकानुग्रहप्रार्थना

भगवति नमनीयताचिन्तनपूर्वकं स्वाभाविकं नमनम्
 

 
श्रीवैकुण्ठगद्यम्
 

 
भक्तियोगाख्यश्रेष्ठार्थसन्दर्शनप्रतिज्ञा
 

 
भगवति शरण्यता, जीवदेवयोः सम्बन्धः जीवस्य
 

 
प्रपत्तीतरोपायराहित्यं चिन्तनपूर्वकं शरणागतिविधानम्
 

 
भगवतः शुभाश्रयस्वरूपस्य यावदायुषम् अहरहश्चिन्तनम् स्वरूपाप्रच्युतये

भगवल्लोक-भगवदायतन-भगवन्मण्टप भगवत्पर्यङ्काः

दिव्यमहिषीसहित-भगवधिव्यविग्रहस्वरूपस्य ध्यानयोगतो दर्शनम्
 

 
जीवात्म-परमात्मनोः स्वाभाविकसम्बन्धचिन्तनं भगवत्साक्षात्कारनिरीक्षा च

स्वस्य भगवते निवेदनम्
 

 
नित्यकैङ्कर्येण भगवदुपासनम्
 

 
भगवदवलोकनाविच्छेदः, आनन्दमग्नतया भगवत्पादच्छायायाम्

अविरतावस्थितिश्च
 

 
अनुबन्धाः
 

 
शरणागतिगद्यभाष्योद्धृतप्रमाणानां अकारादि सूचनी

श्रीरङ्गगद्यभाष्योद्धृतप्रमाणानां अकारादि सूचनी

वैकुण्ठगद्यभाष्योद्धृतप्रमाणानां अकारादि सूचनी

कारिकाणां अकारादि सूचनी

सङ्केताक्षरसूचनी
 
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