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लक्ष्यैः
 
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-15 TRIB
 
योऽसौ पुरा समजनिष्ट जगद्वितार्थम् ।
 
(2 ) प्राच्यं प्रकाशयतु वः परमं रहस्यं
संवाद एष
 
शरणागतिमन्त्रसारः ॥
 
श्रीवेदान्तदेशिक
 
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दया के धाम श्रीलक्ष्मीपति और यतिपति श्रीरामानुजाचार्य
का जगत के कल्याणार्थ हुआ
संवाद जो शरणागति
 
का सार है प्राचीन परम रहस्य को प्रकाशित करे ।
 
शारीरकेऽपि भाष्ये या गोपिता शररणागतिः ।
अत्र गद्यत्रये व्यक्तां तां विद्यां प्ररणतोऽस्म्यहम् ॥
 
श्रीभाष्यकार ने श्रीभाष्य में जिस शरणागति को गुप्त
रक्खा वही गद्यत्रय में प्रकट रूप से विद्यमान है । उस शरणा-
गति विद्या को में प्रणाम करता है ।
 

 
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