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परितः पतिःतितैः पतमानःनैः पादपस्यैथैश्च नानागन्धवर्णैर्दिव्य-

पुष्पैश्शोभमानंदिनैर्दि​व्यपुष्पोपवर्ननैरुपशोभिते, ५
 
EN
 

 
सङ्कीर्णपारिजातादिकल्पद्रुमोपशोभितैरसङ्कीर्णैश्च कैश्चि
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दन्तः स्थपुष्प रत्नादिनिर्मित दिव्यलीलामण्डप- शतसहस्रोपशोभितंतै​-

स्सर्वदा अनुभूयमानैरपि अपूर्ववदाश्चर्यमावद्भिः क्रीडाशैलशत-

सहस्रं रैरलङ्कृतैः, ६
 

 
कैश्चिन्नारायणदिव्यलीलाऽसाधारणैः
कैश्चित्पद्मवनालया-
दिव्यलीलाऽसाधारणैस्साधारणैश्
 
कैश्चित्पद्मवनालया-
कैश्चिच्छुकशारिकामयूर
 
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अनेकानेक दिव्य उपवनों से सुशोभित है। उन उपवनों

में भाँति भाँति की सुगन्ध से युक्त रंगविरंगे दिव्य पुष्प सुशो-

भित हैं जिनमें से कुछ नीचे गिर गये हैं, कुछ वृक्षों से नीचे

गिरते रहते हैं, तथा कुछ उन वृक्षों की डालियों पर ही

लगे हैं । ५
 

 
ये उपवन कहीं घने तथा कहीं विरल पारिजात आदि

कल्पवृक्षों में सुशोभित हैं । ये उद्यान पुष्प, रत्न आदि से

निर्मित लाखों दिव्य लीलामण्डपों से सुशोभित हैं। सर्वदा

अनुभव किये जाने पर भी नित्य नवीन जैसे आश्चर्यजनक
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मालूम पड़ते हैं । ये उद्यान लाखों क्रीडापर्वतों से अलंकृत हैं ।६
 

 
इनमें से कुछ नारायण की दिव्य लीला के असाधारण

स्थल हैं, कुछ लक्ष्मी की दिव्य लीला के असाधारण स्थल हैं

तथा कुछ साधारण स्थल हैं । शुक, सारिका, मयूर और कोकिल