2023-05-17 07:03:05 by Krishnendu
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( १८ )
इति मयैव ह्य्युक्तम् ॥२३॥
अतस्त्वं तव तत्त्वतो मज्ज्ञानदर्शनप्राप्तिषु निस्संशयस्सुख-
सी
मास्स्व ॥२४॥
अन्त्यकाले स्मृतिर्या तु तवकंकैंङ्कर्यकारिता ।
तामेनां भगवन्नद्य क्रियमारणां कुरुष्व मे ॥२५॥
SPR
इति श्री भगवद्रामानुजविरचिते गद्यत्रये, प्रथमं
शरणागतिगद्यौंयं सम्पूर्णम् ।
ये मेरे द्वारा कहा जा चुका है ॥२३॥
इसलिये तुम यथार्थ रूप से मेरे ज्ञान, दर्शन और प्राप्ति
के विषय में संशय रहित होकर सुख से रहो ॥ २४॥
*
भगवन् ! आपके कैंकर्य के फलस्वरूप जो स्मृति[अन्तकाल
में होती है उसे आज ही मुझे प्रदान करें ॥२५॥
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इति मयैव ह्
अतस्त्वं तव तत्त्वतो मज्ज्ञानदर्शनप्राप्तिषु निस्संशयस्सुख-
सी
मास्स्व ॥२४॥
अन्त्यकाले स्मृतिर्या तु तव
तामेनां भगवन्नद्य क्रियमा
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इति श्री
शरणागतिगद्
ये मेरे द्वारा कहा जा चुका है ॥२३॥
इसलिये तुम यथार्थ रूप से मेरे ज्ञान, दर्शन और प्राप्ति
के विषय में संशय रहित होकर सुख से रहो ॥ २४॥
*
भगवन् ! आपके कैंकर्य के फलस्वरूप जो स्मृति
में होती है उसे आज ही मुझे प्रदान करें ॥२५॥
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