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श्रीभगवद्रामानुजमुनीन्द्र विरचित
गद्य त्रय
 
[ शरणागतिगद्य-श्रीरङ्गगद्य-श्रीवैकुण्ठगद्य ]
 
हिन्दी अनुवाद तथा अनुशीलन समेत