2023-03-29 18:45:59 by Krishnendu
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( पण )
२०. शौर्य -- विरोधियों में भी निर्भयता से प्रवेश करने में
-
भगवान् समर्थ हैं ।
-
२१. पराक्रम -- अपनी सामर्थ्य से विरोधियों को छिन्न-भिन्न
करने में वे सदा समर्थ हैं ।
२२. सत्यकाम -- सत्यकामत्व भगवान् का एक गुरण है । इसके
कारण उनके तथा उनके भक्तजनों के भोग्य
पदार्थ सदा उपस्थित रहते हैं ।
२३. सत्यसंकल्प -- सत्यसंकल्पत्व भी भगवान् का एक गुण
है। इसके कारण भगवान्श्रअपूर्व भोग्य
पदार्थों की सृष्टि तत्काल करते हैं । इस
जगत से लेकर वैकुण्ठधाम पर्यन्त सर्वत्र
भगवान् का यह संकल्प अमोघ रहता है ।
२४. कृतित्व -- उपकार करना भगवान् का स्वभाव है ।
२५. कृतज्ञता -- दूसरों के द्वारा किये गये थोड़े उपकार को
भी सदा स्मरण रखते हैं ।
२६. श्रियःपतित्व -- भगवान् श्रियः पति अर्थात् श्रीशब्दवाच्या
लक्ष्मी के पति हैं । लक्ष्मी के स्वरूप, रूप,
गुण, वैभव एवं ऐश्वर्य शील आदि असंख्य
कल्याण गुरण भगवान् के अभिमत एवं
अनुरूप हैं । लक्ष्मीप्रौऔर नारायण दिव्य-
दम्पती हैं। दोनों ही उपाय एवं प्राप्य हैं ।
शरणागति में लक्ष्मी का पुरुषकार भी
है । इस प्रकार पुरुषकार, उपाय और
२०. शौर्य -- विरोधियों में भी निर्भयता से प्रवेश करने में
-
भगवान् समर्थ हैं ।
-
२१. पराक्रम -- अपनी सामर्थ्य से विरोधियों को छिन्न-भिन्न
करने में वे सदा समर्थ हैं ।
२२. सत्यकाम -- सत्यकामत्व भगवान् का एक गु
कारण उनके तथा उनके भक्तजनों के भोग्य
पदार्थ सदा उपस्थित रहते हैं ।
२३. सत्यसंकल्प -- सत्यसंकल्पत्व भी भगवान् का एक गुण
है। इसके कारण भगवान्
पदार्थों की सृष्टि तत्काल करते हैं । इस
जगत से लेकर वैकुण्ठधाम पर्यन्त सर्वत्र
भगवान् का यह संकल्प अमोघ रहता है ।
२४. कृतित्व -- उपकार करना भगवान् का स्वभाव है ।
२५. कृतज्ञता -- दूसरों के द्वारा किये गये थोड़े उपकार को
भी सदा स्मरण रखते हैं ।
२६. श्रियःपतित्व -- भगवान् श्रियः पति अर्थात् श्रीशब्दवाच्या
लक्ष्मी के पति हैं । लक्ष्मी के स्वरूप, रूप,
गुण, वैभव एवं ऐश्वर्य शील आदि असंख्य
कल्याण गु
अनुरूप हैं । लक्ष्मी
दम्पती हैं। दोनों ही उपाय एवं प्राप्य हैं ।
शरणागति में लक्ष्मी का पुरुषकार भी
है । इस प्रकार पुरुषकार, उपाय और