2023-03-23 18:10:59 by Krishnendu
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( ट )
है । ध्यान रहे कि इसी प्रकार
की अन्य विशेषतायें भी
भगवान् के रूप में सदा रहती हैं ।
भगवान् के रूप में,
उसके वर्गण, आभा आदि के अतिरिक्त
एक एक अंग की शोभा अवर्णनीय होती है । वैकुण्ठगद्य के
चतुर्थ वाक्य में अलकावली, ललाट, नेत्र, भ्रूलता, नासिका,
कपोल, अधर, ग्रीवा, ( गरदन ), स्कन्ध ( कन्धे ), करतल
( हथेली ), अंगुलियाँ, नखावली एवं चरणों का निर्देश किया
गया है ।
की अन्य विशेषतायें भी
भूषरण - रूप के प्रसङ्ग में वस्त्र भूषरण भी उल्लेखनीय हैं ।
पीताम्बर भगवान् का विशेष वस्त्र है । भूषणों में शरणागतिगद्य
के ५ वें वाक्य के चौथे सम्बोधन में किरीट, मुकुट, चूडामणि,
कुण्डल, कण्ठहार, भुजबन्ध, कंगन, श्रीवत्सचिन्ह, कौस्तुभमरिण,
णि,
मुक्ताहार, उदरबन्धन, कर्धनी, नूपुर, इन भूषणों को गिनाया
गया है वैकुण्ठेठगद्य के चौथे वाक्य में इन भूषणों के अतिरिक्त
अंगूठियों एवं वैजयन्ती, वनमाला का भी उल्लेख है । भूषणों
की संख्या इतनी ही नहीं है। ये नाम तो केवल विशेष भूषणों
का संकेत करते हैं । ये सारे भूषण दिव्य हैं । भगवान् की
अनुरूपता, विचित्रता, आश्चर्यमयता, नित्यता, निर्मलता,
सुगन्ध, सुखस्पर्शता एवं उज्ज्वलता इनकी विशेषतायें हैं ।
आयुध -- भगवान् के आयुध भी असंख्य हैं। ये सारे
प्रायुध - भगवान् के आयु भी
आयुध भगवान् के अनुरूप, अचिन्त्य, शक्तिसम्पन्न एवं दिव्य
हैं। इन आयुधों में सुदर्शनचक्र पाञ्चजन्य शंख, कौमोदकी
गदा, नन्दक खड्ग एवं शार्ङ्ग धनुष उल्लेखनीय हैं।
है । ध्यान रहे कि इसी प्रकार
भगवान् के रूप में सदा रहती हैं ।
भगवान् के रूप में,
एक एक अंग की शोभा अवर्णनीय होती है । वैकुण्ठगद्य के
चतुर्थ वाक्य में अलकावली, ललाट, नेत्र, भ्रूलता, नासिका,
कपोल, अधर, ग्रीवा, ( गरदन ), स्कन्ध ( कन्धे ), करतल
( हथेली ), अंगुलियाँ, नखावली एवं चरणों का निर्देश किया
गया है ।
की अन्य विशेषतायें भी
भूष
पीताम्बर भगवान् का विशेष वस्त्र है । भूषणों में शरणागतिगद्य
के ५ वें वाक्य के चौथे सम्बोधन में किरीट, मुकुट, चूडामणि,
कुण्डल, कण्ठहार, भुजबन्ध, कंगन, श्रीवत्सचिन्ह, कौस्तुभम
मुक्ताहार, उदरबन्धन, कर्धनी, नूपुर, इन भूषणों को गिनाया
गया है वैकुण्
अंगूठियों एवं वैजयन्ती, वनमाला का भी उल्लेख है । भूषणों
की संख्या इतनी ही नहीं है। ये नाम तो केवल विशेष भूषणों
का संकेत करते हैं । ये सारे भूषण दिव्य हैं । भगवान् की
अनुरूपता, विचित्रता, आश्चर्यमयता, नित्यता, निर्मलता,
सुगन्ध, सुखस्पर्शता एवं उज्ज्वलता इनकी विशेषतायें हैं ।
आयुध -- भगवान् के आयुध भी असंख्य हैं। ये सारे
प्रायुध - भगवान् के आयु भी
आयुध भगवान् के अनुरूप, अचिन्त्य, शक्तिसम्पन्न एवं दिव्य
हैं। इन आयुधों में सुदर्शनचक्र पाञ्चजन्य शंख, कौमोदकी
गदा, नन्दक खड्ग एवं शार्ङ्ग धनुष उल्लेखनीय हैं।