2023-06-11 04:03:27 by Krishnendu
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( ज )
शरण्य
नारायण नाम- गद्यत्रय में जिस शरणागति मन्त्र की
व्याख्या है उसके अनुसार शरण्य का नाम नारायण है। तीनों
गद्यों में 'नारायण' नाम मिलता है । शरणागति गद्य के ५ वें
वाक्य में दो बार 'नारायण' नाम आया है ।
अन्य नाम - 'नारायण' नाम के अतिरिक्त शरणागति
गद्य में परब्रह्मभूत, पुरुषोत्तम, श्रीमान्, श्रीवैकुण्ठनाथ और
भगवान् नाम मिलते हैं। श्रीरंगगद्य में परब्रह्मभूत, पुरुषोत्तम,
श्रीरंगशायी भगवान् को काकुत्स्थ, श्रीमन्, पुरुषोत्तम एवं
श्रीरंगनाथ के नाम से सम्बोधित किया गया है । वैकुण्ठ
गद्य
में परम पुरुष और भगवान् के नाम से उनका उल्लेख
मिलता है ।
नामों का अर्थ - इन नामों का साधारण अर्थ इस प्रकार है-
१. नारायण - वह सम्पूर्ण जगत् में हैं और सारा जगत् उनमें है
२. परब्रह्मभूत - वह महान् हैं ।
३. पुरुषोत्तम - वह समस्त पुरुषों से ( चेतनों) से उत्तम हैं।
४. श्रीमान्– वह लक्ष्मीपति हैं ।
५. वैकुण्ठनाथ - वह वैकुण्ठधाम के स्वामी हैं ।
६. भगवान् – वह समस्त कल्याणगुणों के आकर हैं ।
७. काकुत्स्थ—ककुत्स्थ वंश में उन्होंने श्रीराम के रूप में
अवतार ग्रहण किया है ।
८. श्रीरङ्गनाथ—वह श्रीरंगधाम के स्वामी हैं ।
६. परमपुरुष – वह समस्त पुरुषों से बढ़कर हैं ।
शरण्य
नारायण नाम- गद्यत्रय में जिस शरणागति मन्त्र की
व्याख्या है उसके अनुसार शरण्य का नाम नारायण है। तीनों
गद्यों में 'नारायण' नाम मिलता है । शरणागति गद्य के ५ वें
वाक्य में दो बार 'नारायण' नाम आया है ।
अन्य नाम - 'नारायण' नाम के अतिरिक्त शरणागति
गद्य में परब्रह्मभूत, पुरुषोत्तम, श्रीमान्, श्रीवैकुण्ठनाथ और
भगवान् नाम मिलते हैं। श्रीरंगगद्य में परब्रह्मभूत, पुरुषोत्तम,
श्रीरंगशायी भगवान् को काकुत्स्थ, श्रीमन्, पुरुषोत्तम एवं
श्रीरंगनाथ के नाम से सम्बोधित किया गया है । वैकुण्ठ
में परम पुरुष और भगवान् के नाम से उनका उल्लेख
मिलता है ।
नामों का अर्थ - इन नामों का साधारण अर्थ इस प्रकार है-
१. नारायण - वह सम्पूर्ण जगत् में हैं और सारा जगत् उनमें है
२. परब्रह्मभूत - वह महान् हैं ।
३. पुरुषोत्तम - वह समस्त पुरुषों से ( चेतनों) से उत्तम हैं।
४. श्रीमान्– वह लक्ष्मीपति हैं ।
५. वैकुण्ठनाथ - वह वैकुण्ठधाम के स्वामी हैं ।
६. भगवान् – वह समस्त कल्याणगुणों के आकर हैं ।
७. काकुत्स्थ—ककुत्स्थ वंश में उन्होंने श्रीराम के रूप में
अवतार ग्रहण किया है ।
८. श्रीरङ्गनाथ—वह श्रीरंगधाम के स्वामी हैं ।
६. परमपुरुष – वह समस्त पुरुषों से बढ़कर हैं ।