2023-03-23 17:43:20 by Krishnendu
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( च )
६.
वैकुण्ठधाम में भगवान् का साक्षात्कार
७. वैकुण्ठधाम में भगवान् क अनुभव
गद्यत्रय के सिद्धान्त
गद्यत्रय की विशेषता
गद्यत्रय शरणागति मार्ग का प्रमाण ग्रन्थ है । इसके
द्वारा श्रीरामानुज सम्प्रदाय अपने साधन-पथ और उसके लिये
दिये गये भगवान् के आश्वासन को प्रमाणित करता है ।
आचार्य श्री रामानुजाचार्य अवतार -पुरुष थे; नित्यविभूति के
व्यक्ति थे । उन्होंने शरणागति गद्य के द्वारा केवल अपने लिये
ही भगवच्छरणार्गगा का अनुष्ठान किया अथवा उनके अनुष्ठान
से प्रसन्न होकर भगवान् ने केवल उनके लिये ही वरदान
दिया ऐसा मानना शरणागतिशास्त्र को न जानना है ।
श्री वरवर मुनि ने यतिराज श्री रामानुजाचार्य की प्रार्थना
करते हुए कहा है-
कालत्रयेऽपि करणत्रयनिर्मितानि पापक्रियस्य शरणं भगवत्क्षमैव ।
सा च त्वयैव कमलारमणेऽर्थितत्वात् क्षेमसस्स एवहि यतीन्द्र भवच्छूितानाम् ॥
यतीन्द्र ! त्रिकाल में मनसा, वाचा, कर्मरणा पाप में संलग्न
चेतन के लिये भगवान् की दया का ही एकमात्र सहारा है ।
इसके लिये आपने ही लक्ष्मीपति से प्रार्थना करली । यह
प्रार्थना आपके शिष्यजनों एवं उनकी परम्परा का कल्याण
करने वाली है ।
६.
७. वैकुण्ठधाम में भगवान् क अनुभव
गद्यत्रय के सिद्धान्त
गद्यत्रय की विशेषता
गद्यत्रय शरणागति मार्ग का प्रमाण ग्रन्थ है । इसके
द्वारा श्रीरामानुज सम्प्रदाय अपने साधन-पथ और उसके लिये
दिये गये भगवान् के आश्वासन को प्रमाणित करता है ।
आचार्य श्री रामानुजाचार्य अवतार -पुरुष थे; नित्यविभूति के
व्यक्ति थे । उन्होंने शरणागति गद्य के द्वारा केवल अपने लिये
ही भगवच्छरणार्
से प्रसन्न होकर भगवान् ने केवल उनके लिये ही वरदान
दिया ऐसा मानना शरणागतिशास्त्र को न जानना है ।
श्री वरवर मुनि ने यतिराज श्री रामानुजाचार्य की प्रार्थना
करते हुए कहा है-
कालत्रयेऽपि करणत्रयनिर्मितानि पापक्रियस्य शरणं भगवत्क्षमैव ।
सा च त्वयैव कमलारमणेऽर्थितत्वात् क्षेम
यतीन्द्र ! त्रिकाल में मनसा, वाचा, कर्म
चेतन के लिये भगवान् की दया का ही एकमात्र सहारा है ।
इसके लिये आपने ही लक्ष्मीपति से प्रार्थना करली । यह
प्रार्थना आपके शिष्यजनों एवं उनकी परम्परा का कल्याण
करने वाली है ।