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पृष्टम् पङ्किः
 

 
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११
 
११
 
शुद्धिपत्रिका ।
 

 
अशुद्धम्
 
श्रव्य
 
स्थायीभावस्य
 
हनित्वा
 
बृहत्वोपादनाय
 
माक्षेण समयातीतत्वं
 
स्त्रीचित्तानां स्त्रीमयानां)
विटानां
 
ब्रह्मचित्तानां ब्रह्ममयानां
 
ब्रह्मविदां
 
ब्रह्मापराक्षण
 
श्रव्यस्य
 
भावुकैरध्यक्षवदाचर्यते
 
मत्स्याक्षीणामेव
 
मार्गते
 
११
 
तानुज्जीवयितुं च ।
 
99
 
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भगवद्बुद्धयेत्यपि
यदेकत्रोत्पन्नमन्यान्द्रष्टृन्
 
शुद्धम
 
श्राव्य
 
स्थायिभावस्य
 
हीनत्वा
 
बृहखोपपादनाय
मोक्षणसमयातीतत्वं
 
स्त्रीचित्तैः स्त्रीम यैर्विटैः
 
ब्रह्मचित्तब्रह्ममयैर्ब्रह्म-
विद्भिः
 
ब्रह्मापरोक्षेण
 
श्राव्यस्य
 
भावुकैरध्यक्षवान् कि-
यते
भगवान्स्वबुण्ये त्यपि
यदेकत्रोत्पन्नोऽन्यान्द्र-
न्
मत्स्याक्षणामेव
मृगयते
 
तानुज्जीवयितुम् ।
 
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