देशीशब्दकोश /74
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अक्ख -- उत्कृष्ट उपकरण ( बृभा १५४५ )।
अक्खक -- आभूषण विशेष ( अंवि पृ ६० )।
अक्खणवेल -- १ मैथुन । २ संध्याकाल ( दे १।५९ ) ।
अक्खणिया -- विपरीत मैथुन ( पा ४३२ )
अक्खपूप -- खाद्यपदार्थ-विशेष ( अंवि पृ १८२ ) ।
अक्खर -- आंख का रोग विशेष ( आवचू २ पृ १०२ ) ।
अक्खरा -- आंख की पुतली-'आसमक्खिया अक्खिमि अक्खरा उकड्ढिज्जइ
त्ति' ( आवहाटी २ पृ ९० ) ।
अक्खल -- १ अखरोट वृक्ष । २ अखरोट वृक्ष का फल ( प्रज्ञा १६ ) ।
अक्खलिअ -- १ प्रतिफलित, प्रतिबिंबित । २ आकुल-व्याकुल ( दे १।२७ ) ।
अक्खवाया -- दिशा (दे १।३५ )।
अक्खिवण -- अपहरण ( बृभा २०५४) ।
अक्खु -- आम की छाल-'अक्खु-अंबसालमित्यर्थ:' ( निचू ३ पृ ४८२ ) ।
अक्खुय -- आम की छाल ( निभा ४७००)।
अक्खेवि -- वशीकरण के द्वारा चोरी करने वाला ( प्र ३।३ ) ।
अक्खोड -- १ राजकुल में दातव्य द्रव्य, बेगार तथा सैनिक आदि की भोजन-
व्यवस्था (व्यभा २ टी प १० ) । २ वह भूभाग, जो बिना बोया
हुआ तथा जनता से अनाक्रांत हो ( आवटि प ९० )।
अक्खोडभंग -- राजकुल में दातव्य द्रव्य की राजा द्वारा दी जाने वाली छूट-
'खोडभंगोत्ति वा उक्कोडभंगोत्ति वा अक्खोडभंगोत्ति वा एगट्ठं'
( निचू ४ पृ २८० ) । देखें - खोडभंग ।
अक्खोल -- फल-विशेष ( अंवि पृ ६४ ) ।
अक्खोला -- ककड़ी ( अंवि पृ ७१ ) ।
अखरय -- भृत्य-विशेष (पिनि ३६७) ।
अगअ -- दानव ( दे १।६) ।
अगंडिगेह -- यौवन से उन्मत्त बना हुआ (दे १।४०) ।
अगड -- १ कूप (स्था २।३६० ) । २ कूप के पास पशुओं के जल पीने का गर्त्त।
अगत्थि -- गुल्म-विशेष ( जीव ३।५८० )।
अगय -- असुर ( प्रा २।१७४) ।
अगहण -- कापालिक, वाममार्गी ( दे १।३१ )।
अक्खक -- आभूषण विशेष ( अंवि पृ ६० )।
अक्खणवेल -- १ मैथुन । २ संध्याकाल ( दे १।५९ ) ।
अक्खणिया -- विपरीत मैथुन ( पा ४३२ )
अक्खपूप -- खाद्यपदार्थ-विशेष ( अंवि पृ १८२ ) ।
अक्खर -- आंख का रोग विशेष ( आवचू २ पृ १०२ ) ।
अक्खरा -- आंख की पुतली-'आसमक्खिया अक्खिमि अक्खरा उकड्ढिज्जइ
त्ति' ( आवहाटी २ पृ ९० ) ।
अक्खल -- १ अखरोट वृक्ष । २ अखरोट वृक्ष का फल ( प्रज्ञा १६ ) ।
अक्खलिअ -- १ प्रतिफलित, प्रतिबिंबित । २ आकुल-व्याकुल ( दे १।२७ ) ।
अक्खवाया -- दिशा (दे १।३५ )।
अक्खिवण -- अपहरण ( बृभा २०५४) ।
अक्खु -- आम की छाल-'अक्खु-अंबसालमित्यर्थ:' ( निचू ३ पृ ४८२ ) ।
अक्खुय -- आम की छाल ( निभा ४७००)।
अक्खेवि -- वशीकरण के द्वारा चोरी करने वाला ( प्र ३।३ ) ।
अक्खोड -- १ राजकुल में दातव्य द्रव्य, बेगार तथा सैनिक आदि की भोजन-
व्यवस्था (व्यभा २ टी प १० ) । २ वह भूभाग, जो बिना बोया
हुआ तथा जनता से अनाक्रांत हो ( आवटि प ९० )।
अक्खोडभंग -- राजकुल में दातव्य द्रव्य की राजा द्वारा दी जाने वाली छूट-
'खोडभंगोत्ति वा उक्कोडभंगोत्ति वा अक्खोडभंगोत्ति वा एगट्ठं'
( निचू ४ पृ २८० ) । देखें - खोडभंग ।
अक्खोल -- फल-विशेष ( अंवि पृ ६४ ) ।
अक्खोला -- ककड़ी ( अंवि पृ ७१ ) ।
अखरय -- भृत्य-विशेष (पिनि ३६७) ।
अगअ -- दानव ( दे १।६) ।
अगंडिगेह -- यौवन से उन्मत्त बना हुआ (दे १।४०) ।
अगड -- १ कूप (स्था २।३६० ) । २ कूप के पास पशुओं के जल पीने का गर्त्त।
अगत्थि -- गुल्म-विशेष ( जीव ३।५८० )।
अगय -- असुर ( प्रा २।१७४) ।
अगहण -- कापालिक, वाममार्गी ( दे १।३१ )।