2023-02-16 08:36:55 by श्री अयनः चट्टोपाध्यायः

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अंबसमी- गूंदा हुआ बासी गीला आटा ( दे १।३७ ) ।
अंबाडग– बहुबीज वाला आम्रातक फल ( प्रज्ञा १।३६ ) ।
अंबाडगधूवि— खाद्यपदार्थ-विशेष (अंवि पृ ७१) ।
अंबाडिय- तिरस्कृत ( बूटी पृ ५४ ) ।
अंबिर-- आम्र ( दे १।१५ ) ।
अंबिलिका - इमली ( अंवि पृ ७० ) ।
अंबुसु - सिंह से भी अति बलवान पशु, शरभ ( दे १।११ ) ।
अंबेट्टिआ–मुष्टिद्यूत, बालकों द्वारा मुट्ठी से खेला जाने वाला जूआ - ' मा रम
अंबेट्टिआइ पुत्त ! तुमं' ( दे १।७ वृ) ।
अंबेट्टी–मुष्टिद्यूत, बच्चों की क्रीडा-विशेष जो 'एकीबेकी' के रूप में खेली
जाती है (दे १।७) ।
अंबेल्ली - खट्टी राब-'एहि किराइं सीतलीहोति अंबेल्ली'
(आवचू १ पृ १११) ।
अंबेसी – घर का द्वार-फलक (१।८)।
अंबोच्ची– फूलों को चुनने वाली स्त्री ( दे १।९) ।

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अकंडतलिम – १ नि:स्नेह । २ अविवाहित (दे १६०) ।
अकरंडुय- मांस के उपचित होने के कारण जिसके पीठ के पास की हड्डी
दिखाई न पड़े ( प्र ४।७ टी प ८१ )

अकारय - भोजन की अरुचि, रोग -विशेष (ज्ञा ११३२८ ) ।
अकासि - निषेध-सूचक अव्यय, पर्याप्त ( दे १८ ) ।
अकोप्प - रम्य ( प्र ४८) ।
अक्क - दूत ( दे १६ ) ।

अक्कंत - प्रवृद्ध, बढ़ा हुआ ( दे १।६) ।
९) ।
अक्कंद – परित्राता, रक्षा करने वाला ( दे ११५ ) ।

अक्कबोंदि – वल्ली विशेष ( भ २२६ ) ।

अक्कसाला- - १ बलात्कार । २ उन्मत्त - -सी स्त्री ( दे १५८)

अक्का – भगिनी, बहिन ( दे ११६ ) । अक्का (कन्नड ) ।
)।
अक्कुट्ठ - अध्यासित, अधिष्ठित ( दे १ । ११ ) ।
।११ ) ।
अक्कोड – बकरा (दे ११२)
 
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अक्कोडिय-- चुभाना, घुसाना- 'तंबियाओ सुईओ....••••वीससु वि अंगुलीनहेसु
अक्कोडियाओ' (बृटी पृ ५७ ) ।
 
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पास की हड्डी
 
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)।