2023-02-16 07:27:23 by श्री अयनः चट्टोपाध्यायः

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अंतरिया -- समाप्ति, अंत ( जंबू २ ) ।
अंतालूहण -- प्रिय-अंतालूहणो मम एस पुत्तो' (कु पृ ४७ ) ।
अंतोहरी -- दूती (दे १।३५ ) ।
अंतेल्ली -- १ मध्य । २ जठर, पेट । ३ तरंग ( दे १।५५ ) ।
अंतोखरियत्ता -- १ नगर में रहने वाली वेश्या ।
( भ १५।१८६ ) -- अंतोखरियत्ताए त्ति नगराभ्यन्तर-
वेश्यात्वेन' विशिष्टवेश्यात्वेनेत्यन्ये ( टी पृ १२७६ )।
अंतोवगडा -- घर का आंगन ( बृ २।१ ) – अंतोवगडा नाम उवस्सयस्स
अब्भंतरं अंगणं' (चूप १४१)।
अंतोहुत्त -- अधोमुख (दे १।२१) ।
अंधंधु -- कूप, कुआ (दे १।१८) ।
अंधक -- फल-विशेष, वृक्ष-विशेष ( अंवि पृ २३८ ) ।
अंधग -- वृक्ष ( भ १८।९५) ।
अंधगवहि -- स्थूल अग्नि ( भ १८।६५ ) ।
अंधार -- अन्धकार ( पंव २५७ ) ।
अंधारइअ -- अन्धापन (आचू पृ ३७२) ।
अंधिया -- चतुरिन्द्रिय जंतु विशेष ( भ १५।१८) ।
अंबकधूवि -- खाद्यपदार्थ-विशेष (अंवि पृ ७१ ) ।
अंबकूणग -- आम्रफल (भटी पृ १२५७ ) ।
अंबकोइलिया -- १ आम्रविष्ठा । २ आम की छाल के टुकड़े
(दअचू पृ २३ ) ।
अंबखुज्ज -- तलवे का मध्य भाग - 'यदाम्र कुब्जं पादतलमध्यम्'
(बृटी पृ १०६२)।
अंबट्टिक -- भोज्य-विशेष - अंब ट्ठिकघतउण्हे पोवलिका••••'(अंवि पृ २४६) ।
अंबड -- कठिन (दे १ । १६ )।
अंबपिंडी -- भोज्य-विशेष ( अंवि पृ ७१ ) ।
अंबप्पहार -- प्रहार से दुःखी ( उशाटी प १९३ ) ।
अंबमसी -- गूंदा हुआ बासी गीला आटा - 'अंबसमीत्यत्र सकारमकारयोर्व्यत्यये
अंब मसीति केचित् पठन्ति' (दे १।३७ वृ)।
अंबर -- मत्स्य का मद - अम्बरशब्देनात्र मत्स्यमदोऽभिधीयते स हि किलात्यन्त-
सुगन्धो भवति' (आवटि प ६५)।