देशीशब्दकोश /70
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अअंख-- निःस्नेह, स्नेह रहित ( दे १ । १३) ।
अइगय-- १ मार्ग का पश्चाद् भाग । २ समागत । ३ प्रविष्ट ( दे १।५७) ।
अइण-- गिरि-तट, तराई, पहाड़ का निम्न -भाग (दे १।१०) ।
अइणिअ-- लाया हुआ (दे १।२४) ।
अइर-- १ अतिरोहित (पिनि ५६० ) । २ गांव का मुखिया, राज्य द्वारा नियुक्त गांव का अधिकारी ( दे १।१६ ) ।
अइरजुवइ-- नववधू (१।४८) ।
अइराउल-- स्वामीकुल- 'देशीपदमेतत्' (प्रज्ञाटी प २५३ ) ।
अइराणी --१ इन्द्राणी ( अंवि पृ २२३; दे १९।५८) । २ सौभाग्य प्राप्त
करने के लिए इन्द्राणी का व्रत करने वाली स्त्री ( दे ११।५८ ) ।
अरिइरिंप –-- कथाबंध, कहानी ( दे १ । २६ ) ।
अइरिका–-- देवी - विशेष, इन्द्राणी (अंवि पृ ६९) ।
अइहारा -- विद्युत्, बिजली (दे १ । ३४) ।
अंक -- निकट ( दे १।५ ) ।
अंकअंककरेलुय -- जलज-वनस्पति (आचूला १।११३) ।
अंकार–-- सहायता, मदद ( दे ११६।९ ) ।
अंकिअ—-- आलिंगन ( दे ११।११ ) ।
अंकिल - नर्तक (ज्ञाटी प ४४ ) ।
अंकिल्ल–नट (औपटी पृ ४ ) ।
-
अंकुसइअ – अंकुश के आकार वाला ( दे ११।३८) ।
अंकेल्ल - -- नट (निचू २ पृ ४६८) ।
अंकेल्लण–-- चाबुक - विशेष ( जंबू ३।१०६ ) ।
९) ।
अंकेल्लि -- अशोक वृक्ष (दे १।७) ।
अंकोल्ल –-- १ अंकोठ वृक्ष (प्रज्ञा १।३५। १ ) । २ गुच्छ विशेष
(प्रज्ञा ११।३७ १।५) । ३ नर्तक (ज्ञाटी प ४६) ।
अंगवडड्ढण -- रोग ( दे ११।४७) ।
अंगवलिज्ज -- शरीर को मोड़ना ( दे १ ॥।४२) ।
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अइगय-- १ मार्ग का पश्चाद् भाग । २ समागत । ३ प्रविष्ट ( दे १।५७) ।
अइण-- गिरि-तट, तराई, पहाड़ का निम्न -भाग (दे १।१०) ।
अइणिअ-- लाया हुआ (दे १।२४) ।
अइर-- १ अतिरोहित (पिनि ५६० ) । २ गांव का मुखिया, राज्य द्वारा नियुक्त गांव का अधिकारी ( दे १।१६ ) ।
अइरजुवइ-- नववधू (१।४८) ।
अइराउल-- स्वामीकुल- 'देशीपदमेतत्' (प्रज्ञाटी प २५३ ) ।
अइराणी --१ इन्द्राणी ( अंवि पृ २२३; दे १
करने के लिए इन्द्राणी का व्रत करने वाली स्त्री ( दे १
अ
अइरिका
अइहारा -- विद्युत्, बिजली (दे १ । ३४) ।
अंक -- निकट ( दे १।५ ) ।
अंक
अंकार
अंकिअ
अंकिल - नर्तक (ज्ञाटी प ४४ ) ।
अंकिल्ल–नट (औपटी पृ ४ ) ।
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अंकेल्ल -
अंकेल्लण
अंकेल्लि -- अशोक वृक्ष (दे १।७) ।
अंगवलिज्ज -- शरीर को मोड़ना ( दे १
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