देशीशब्दकोश /588
This page has been fully proofread once and needs a second look.
परिशिष्ठ २
कम्म ( भुज् )–-- भोजन
करना ( प्रा ४ । ।११०) ।
) ।
कम्मव ( उप + भुज् )–-- उपभोग करना ( प्रा ४।१११) ।
) ।
करंज (भञ्ज् )–-- भांगना ( प्रा ४।१०६) ।
) ।
करयर -- 'कर' 'कर' की आवाज करना, चहचहाना - 'करयरेंति सउणया'
( कु पृ १६९८ ) ।
कसमस -- कसमसाना ।
काण–-- काना करना, छेद करना- 'कीस मे कोलालाणि काणेसि !"
( ( आवचू १ पृ ६१४) ।
) ।
कालक्खर- - -- १ निर्भर्त्सना करना । २ निर्वासित करना ।
किलकिल–-- किलकिल करना ।
---
किलिकिंच ( रम् ) क्रीड़ा करना, खेलना ( प्रा ४।१६८) ।
) ।
किलिकिल- -- किलकिल आवाज करना ।
कुंट -- पैर में चुभे कांटे आदि को खोदना - 'अण्णत्तो च्चिय कुंटसि, अण्णत्तो
कओ वतं जातं' ( बृभा ६१६७) ।
) ।
कुट्ट -- पीटना ( निचू २ पृ६ ) ।
९ ) ।
कुण ( कृ ) -- करना ( प्रा ४१।६५ ) ।
कुण -- नकल करना ( निचू ३ पृ ३१ ) ।
D
९ ) ।
कुरकुर—-- बड़बडाना - 'भातुजायाओय कुरकुरायति' ( आवचू १ पृ ५२६) ।
) ।
कुरुड-
-- -- काटना ।
कुवार -- पुकार करना ।
केलाय ( समा + रच् )–-- रचना, बनाना ( प्रा ४।९५) ।
) ।
केवलाअ ( सम् + आ + रच् )–-- रचना करना ।
केवलाअ ( समा + रभ् )–-- आरम्भ करना ।
कोआस ( वि + कस् )–-- विकसित होना ( प्रा ४।११९५) ।
कोषक (व्या + हृ ) -- पुकारना, बुलाना ( प्रा ४।७६) ।
) ।
कोट्ट कूटना, पीटना ( आवहाटी १ पृ २६४)।
) ।
कोट्टुम ( रम् )–-- क्रीड़ा करना, खेलना ( प्रा ४।१६८) ।
) ।
कोड्डुम ( रम् ) खेलना, क्रीड़ा करना ।
कोर -- पात्र के किनारा लगाना, बांधना ( निचू ४ पृ २१७ ) ।
५१६
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
कम्म ( भुज् )
कम्मव ( उप + भुज् )
करंज (भञ्ज् )
करयर -- 'कर' 'कर' की आवाज करना, चहचहाना - 'करयरेंति सउणया'
कसमस -- कसमसाना ।
काण
(
कालक्खर
किलकिल
---
किलिकिंच ( रम् ) क्रीड़ा करना, खेलना ( प्रा ४।१६८
किलिकिल
कुंट -- पैर में चुभे कांटे आदि को खोदना - 'अण्णत्तो च्चिय कुंटसि, अण्णत्तो
कुट्ट -- पीटना ( निचू २ पृ
कुण ( कृ ) -- करना ( प्रा ४
कुण -- नकल करना ( निचू ३ पृ ३
D
कुरकुर
कुरुड
--
कुवार -- पुकार करना ।
केलाय ( समा + रच् )
केवलाअ ( सम् + आ + रच् )
केवलाअ ( समा + रभ् )
कोआस ( वि + कस् )
कोषक (व्या + हृ ) -- पुकारना, बुलाना ( प्रा ४।७६
कोट्ट कूटना, पीटना ( आवहाटी १ पृ २६४
कोट्टुम ( रम् )
कोड्डुम ( रम् ) खेलना, क्रीड़ा करना ।
कोर -- पात्र के किनारा लगाना, बांधना ( निचू ४ पृ २१७ ) ।
५१६
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org