देशीशब्दकोश /586
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परिशिष्ट २
ओर
ओत्थ ( स्थग् ) -- ढकना ।
ओप्प
ओप्प -- शाण आदि पर घर्षण करना ।
ओब
ओब्भाल -- सूप आदि से धान्य साफ करना ।
-
ओयव -- सिद्ध करना - 'सिंधुदेवीं ओयवेइ' ( आवटि प २० ) ।
ओरंप -- १ छीलना । २ नष्ट करना ।
ओरस ( अव +तु) –तृ ) -- नीचे उतरना ( प्रा ४८।८५) ।
) ।
ओरुम्मा ( उद् + वा )–-- सूखना, शुष्क होना ( प्रा ४५११) ।
।११ ) ।
ओलंड ( उत् + लङ्घ)
ओल्लर - शयन करना ।
ओल्लुड्डु ( वि + रेचय् )
ओवग्ग (अव + क्रम् )
ओलग्ग – सेवा करना ।
ओलि - घर के चारों ओर घूमना- 'ओलितित्ति गृहाणि प्रति परिभ्रमन्ति'
(आवहाटी १पृ१८३३) ।
ओलिंप - खोलना (पिनि ३५४ ) ।
ओलुंड ( वि + रेचय् ) – झरना, टपकना ( प्रा ४।२६ ) ।
ओलुह-अवरोहण करना, नीचे उतरना (आवहाटी १ पृ १२१ ) ।
ओले - घर के चारों ओर घूमना- 'णीयं च कागा ओलेंति जाया भिक्खस्स
हरहरा' (आवहाटी १ पृ १८३ ) ।
घ् ) -- उल्लंघन करना, लांघना- 'अप्पेगइया मेहं कुमारं
हत्थेहिहिं संघट्टेटेंति... ...अप्पेगइया ओलंडेंति....'
( ( ज्ञा १ । १ । ।१।१५३ ) ।
–
ओलग्ग -- सेवा करना ।
ओलि -- घर के चारों ओर घूमना - 'ओलिंतित्ति गृहाणि प्रति परिभ्रमन्ति' ( आवहाटी १ पृ १८३ ) ।
ओलिंप -- खोलना ( पिनि ३५४ ) ।
ओलुंड ( वि + रेचय् ) -- झरना, टपकना ( प्रा ४।२६ ) ।
ओलुह -- अवरोहण करना, नीचे उतरना ( आवहाटी १ पृ १२१ ) ।
ओले -- घर के चारों ओर घूमना- 'णीयं च कागा ओलेंति जाया भिक्खस्स हरहरा' ( आवहाटी १ पृ १८३ ) ।
ओल्लर -- शयन करना ।
ओल्लुड्ड ( वि + रेचय् ) -- विरेचन करना ।
ओवास
ओवग्ग (अव +काश )
-क्रम् ) -- १ व्याप्त करना ( से ३।११ ) । २ ढकना,
आच्छादित करना ( से ४१।२५ ) ।
ओवास ( अव + काश् ) -- शोभित होना ( प्रा ४१।१७६) ।
९ ) ।
ओवाह ( अव + गाह) ह् ) -- हृदयंगम करना ( प्रा ४ । ।२०५ ) ।
ओवेड -- १ निक्षिप्त करना, रखना (ओटी प १६ ) । २ फेंकना
( ओटी प ३५ ) ।
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ओठ
ओव्वाल ( प्लावय् )–-- प्लावित करना ।
ओसर ( अव +तू ) ––तृ ) -- १ उतरना । २ अवतरित होना, जन्म लेना ।
ओसिंघाव-सं -- सूंघाना - 'सो भीतो अण्णं पुरिसं तं चुण्णगं ओसिंघावेति'
( दअचू पृ ४३ ) ।
ओसिर -- परित्याग करना ।
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ओर
ओत्थ ( स्थग् ) -- ढकना ।
ओप्प
ओप्प -- शाण आदि पर घर्षण करना ।
ओब
ओब्भाल -- सूप आदि से धान्य साफ करना ।
-
ओयव -- सिद्ध करना - 'सिंधुदेवीं ओयवेइ' ( आवटि प २० ) ।
ओरंप -- १ छीलना । २ नष्ट करना ।
ओरस ( अव +
ओरुम्मा ( उद् + वा )
ओलंड ( उत् + लङ्
ओल्लर - शयन करना ।
ओल्लुड्डु ( वि + रेचय् )
ओवग्ग (अव + क्रम् )
ओलग्ग – सेवा करना ।
ओलि - घर के चारों ओर घूमना- 'ओलितित्ति गृहाणि प्रति परिभ्रमन्ति'
(आवहाटी १पृ१८३३) ।
ओलिंप - खोलना (पिनि ३५४ ) ।
ओलुंड ( वि + रेचय् ) – झरना, टपकना ( प्रा ४।२६ ) ।
ओलुह-अवरोहण करना, नीचे उतरना (आवहाटी १ पृ १२१ ) ।
ओले - घर के चारों ओर घूमना- 'णीयं च कागा ओलेंति जाया भिक्खस्स
हरहरा' (आवहाटी १ पृ १८३ ) ।
(
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ओलग्ग -- सेवा करना ।
ओलि -- घर के चारों ओर घूमना - 'ओलिंतित्ति गृहाणि प्रति परिभ्रमन्ति' ( आवहाटी १ पृ १८३ ) ।
ओलिंप -- खोलना ( पिनि ३५४ ) ।
ओलुंड ( वि + रेचय् ) -- झरना, टपकना ( प्रा ४।२६ ) ।
ओलुह -- अवरोहण करना, नीचे उतरना ( आवहाटी १ पृ १२१ ) ।
ओले -- घर के चारों ओर घूमना- 'णीयं च कागा ओलेंति जाया भिक्खस्स हरहरा' ( आवहाटी १ पृ १८३ ) ।
ओल्लर -- शयन करना ।
ओल्लुड्ड ( वि + रेचय् ) -- विरेचन करना ।
ओवास
ओवग्ग (अव +
-
ओवास ( अव + काश् ) -- शोभित होना ( प्रा ४
ओवाह ( अव + गा
ओवेड -- १ निक्षिप्त करना, रखना (ओटी प १६ ) । २ फेंकना
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ओठ
ओव्वाल ( प्लावय् )
ओसर ( अव +
ओसिंघाव
ओसिर -- परित्याग करना ।
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