2023-09-07 07:39:36 by श्री अयनः चट्टोपाध्यायः

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परिशिष्ट २
 
ओर

 
ओत्
थ ( स्थग् ) -- ढकना ।
 
ओप्प

ओप्प -
- शाण आदि पर घर्षण करना ।
 
ओब

ओब्
भाल -- सूप आदि से धान्य साफ करना ।
 
-
 

ओयव -- सिद्ध करना - 'सिंधुदेवीं ओयवेइ' ( आवटि प २० ) ।

ओरंप -- १ छीलना । २ नष्ट करना ।
 

ओरस ( अव + तु) –तृ ) -- नीचे उतरना ( प्रा ४८५) ।
 
) ।
ओरुम्मा ( उद् + वा ) -- सूखना, शुष्क होना ( प्रा ४५११) ।
।११ ) ।
ओलंड ( उत् + लङ्घ)
 
ओल्लर - शयन करना ।
ओल्लुड्डु ( वि + रेचय् )
ओवग्ग (अव + क्रम् )
 
ओलग्ग – सेवा करना ।
 
ओलि - घर के चारों ओर घूमना- 'ओलितित्ति गृहाणि प्रति परिभ्रमन्ति'
(आवहाटी १पृ१८३३) ।
 
ओलिंप - खोलना (पिनि ३५४ ) ।
 
ओलुंड ( वि + रेचय् ) – झरना, टपकना ( प्रा ४।२६ ) ।
 
ओलुह-अवरोहण करना, नीचे उतरना (आवहाटी १ पृ १२१ ) ।
ओले - घर के चारों ओर घूमना- 'णीयं च कागा ओलेंति जाया भिक्खस्स
हरहरा' (आवहाटी १ पृ १८३ ) ।
 
घ् ) -- उल्लंघन करना, लांघना- 'अप्पेगइया मेहं कुमारं
हत्थेहिहिं संघट्टेटेंति... ...अप्पेगइया ओलंडेंति....'
(
( ज्ञा १ । १ । ।१।१५३ ) ।
 

ओलग्ग -- सेवा करना ।
ओलि -- घर के चारों ओर घूमना - 'ओलिंतित्ति गृहाणि प्रति परिभ्रमन्ति' ( आवहाटी १ पृ १८३ ) ।
ओलिंप -- खोलना ( पिनि ३५४ ) ।
ओलुंड ( वि + रेचय् ) -- झरना, टपकना ( प्रा ४।२६ ) ।
ओलुह -- अवरोहण करना, नीचे उतरना ( आवहाटी १ पृ १२१ ) ।
ओले -- घर के चारों ओर घूमना- 'णीयं च कागा ओलेंति जाया भिक्खस्स हरहरा' ( आवहाटी १ पृ १८३ ) ।
ओल्लर -- शयन करना ।
ओल्लुड्ड ( वि + रेचय् ) --
विरेचन करना ।
 
ओवास

ओवग्ग
(अव + काश )
 
-
क्रम् ) -- १ व्याप्त करना ( से ३।११ ) । २ ढकना,
आच्छादित करना ( से ४२५ ) ।

ओवास ( अव + काश् ) -
- शोभित होना ( प्रा ४१७६) ।
९ ) ।
ओवाह ( अव + गाह) ह् ) -- हृदयंगम करना ( प्रा ४२०५ ) ।

ओवेड -- १ निक्षिप्त करना, रखना (ओटी प १६ ) । २ फेंकना
( ओटी प ३५ ) ।
 
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ओठ

ओव्
वाल ( प्लावय् ) -- प्लावित करना ।
 

ओसर ( अव + तू ) ––तृ ) -- १ उतरना । २ अवतरित होना, जन्म लेना ।

ओसिंघाव-सं -- सूंघाना - 'सो भीतो अण्णं पुरिसं तं चुण्णगं ओसिंघावेति'
( दअचू पृ ४३ ) ।
 

ओसिर -- परित्याग करना ।
 
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