देशीशब्दकोश /580
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२.
आरोल (पुञ्ज) - एकत्र करना ( प्रा ४।१०२ ) ।
आलिह (स्पृश) स्पर्श करना ( प्रा ४।१८२)
आलुंख (स्पृश) स्पर्श करना ( प्रा ४।१८२) ।
आलुंख (वह) - जलाना (प्रा ४१२०८ ) ।
आलुंघ (स्पृश्) -छूना
आलुक्ख (स्पृश) -छूना
आलुक्ख (वह) -जलाना ।
आव ( आ + या ) –आना, आगमन करना ।
आवआस (उप + गूह ) – आलिंगन करना ।
आसंघ-आश्रय लेना- 'आ + श्रि इत्यर्थे देशी ।'
आसंघ ( सं + भावय्)
भासगल -१ आक्रान्त करना । २ प्राप्त करना ।
-१ संभावना करना । २ अध्यवसाय करना
३ निश्चय करना ( से १५/६० ) ।
आसरसम्मुख आना ।
आह (कांक्ष) – अभिलाषा करना ( प्रा ४ । १९२) ।
आह (बूज्) -कहना ।
आहम्म ( गम् ) - गमन करना, जाना ( प्रा ४।१६२) ।
आहल्ल – हिलना, चलना ।
आहुड – गिरना (दे १।६९ व्) ।
आहोड (ताडय् ) – ताडन करना ( प्रा ४ । २७ ) ।
इ
इंघ-
सूंघना ।
इग्घ - तिरस्कृत करना ।
इज्झा ( इन्ध्) -- चमकना ( प्रा ३२८) ।
इल्ल - आसिक्त करना, सींचना ।
ईजिह - तृप्त होना ।
ईस - वश में करना ।
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५१६
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आरोल (पुञ्ज) - एकत्र करना ( प्रा ४।१०२ ) ।
आलिह (स्पृश) स्पर्श करना ( प्रा ४।१८२)
आलुंख (स्पृश) स्पर्श करना ( प्रा ४।१८२) ।
आलुंख (वह) - जलाना (प्रा ४१२०८ ) ।
आलुंघ (स्पृश्) -छूना
आलुक्ख (स्पृश) -छूना
आलुक्ख (वह) -जलाना ।
आव ( आ + या ) –आना, आगमन करना ।
आवआस (उप + गूह ) – आलिंगन करना ।
आसंघ-आश्रय लेना- 'आ + श्रि इत्यर्थे देशी ।'
आसंघ ( सं + भावय्)
भासगल -१ आक्रान्त करना । २ प्राप्त करना ।
-१ संभावना करना । २ अध्यवसाय करना
३ निश्चय करना ( से १५/६० ) ।
आसरसम्मुख आना ।
आह (कांक्ष) – अभिलाषा करना ( प्रा ४ । १९२) ।
आह (बूज्) -कहना ।
आहम्म ( गम् ) - गमन करना, जाना ( प्रा ४।१६२) ।
आहल्ल – हिलना, चलना ।
आहुड – गिरना (दे १।६९ व्) ।
आहोड (ताडय् ) – ताडन करना ( प्रा ४ । २७ ) ।
इ
इंघ-
सूंघना ।
इग्घ - तिरस्कृत करना ।
इज्झा ( इन्ध्) -- चमकना ( प्रा ३२८) ।
इल्ल - आसिक्त करना, सींचना ।
ईजिह - तृप्त होना ।
ईस - वश में करना ।
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