देशीशब्दकोश /564
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परिशिष्ट १
घट्टइ – निश्चित
बट्टउ - कटोरी
वट्टमग–मार्ग
-
बट्टाविअ - समापित
घट्टु – पात्र - विशेष
वटुत्तिविडि–बर्तनों या घड़ों को
एक पर एक चिनना (वडेर-
राजस्थानी )
वडप्फर--बड़ा फलक
वडलसर-जपवान्
वडिणाय - घर्घर कण्ठ
वडिया – उद्देश
वडिसाअ - टपका हुआ
-
वडुमग – मार्ग, रास्ता
वड्डइअ - चर्मकार
वड्डारय - महत्तर
वड्डिम – १ टपका हुआ । २ बड़ाई,
श्लाघा
वांडुल – बड़ा, महान्
वड्डुअ - बड़ा
वड्डुल–बढ़ा
बड्डया-वाटिका
चड्ढारय
– बड़ा
वड्ढुअर - बृहत्तर
वढ - १ मूक । २ मूढ । ३ वट
वढत्तण-मूढता
वणनत्तडिअ - पुरस्कृत, आगे किया
हुआ
वण सुणअ - भेड़िया
वत्ता रहण - रस्सी पर नाचने वाला
नट
चन्द्र- समूह
Jain Education International
वपक्षअ
भार
वप्प - १ पिता । २ बाप रे
वप्पाहय – चातक पक्षी
वप्पिअ - परिपूर्ण
वप्पिक्की - पतकी
वप्पिवअ खेत
वप्पीह – कुमार
वम्मल – कोलाहल
वम्मीसण – कामदेव
वम्मुल्लूरण -- मर्मवेधक
वम्मुल्लूरिय–मर्मविद्ध
वयंग – फल विशेष
वयणुल्ल – मुख
वयाल - - कोलाहल
वयालिय–व्याप्त
वरंडिया -- छोटा बरंडा
वरडा -- १ तैलाटी, कीट-विशेष ।
२ दंश भ्रमर
वरत्त - १ पीत । २ पतित ।
३ पेटित, संहत
वरय - वराक, बेचारा
वरह - रज्जु
वरालय - वाहन-विशेष
४६५
वराहव - राहु
वरिल्ल ----वस्त्र
वरुय – वृक, भेड़िया
वलइल्ल - वल्लभ
-
वल विकअ - उत्संगित, उत्संग स्थित
वलत्थ - पर्यस्त
वलविअ – जपवान्
वल हिय – बरामदा
चलाएल्लण-
-वल्लभ
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घट्टइ – निश्चित
बट्टउ - कटोरी
वट्टमग–मार्ग
-
बट्टाविअ - समापित
घट्टु – पात्र - विशेष
वटुत्तिविडि–बर्तनों या घड़ों को
एक पर एक चिनना (वडेर-
राजस्थानी )
वडप्फर--बड़ा फलक
वडलसर-जपवान्
वडिणाय - घर्घर कण्ठ
वडिया – उद्देश
वडिसाअ - टपका हुआ
-
वडुमग – मार्ग, रास्ता
वड्डइअ - चर्मकार
वड्डारय - महत्तर
वड्डिम – १ टपका हुआ । २ बड़ाई,
श्लाघा
वांडुल – बड़ा, महान्
वड्डुअ - बड़ा
वड्डुल–बढ़ा
बड्डया-वाटिका
चड्ढारय
– बड़ा
वड्ढुअर - बृहत्तर
वढ - १ मूक । २ मूढ । ३ वट
वढत्तण-मूढता
वणनत्तडिअ - पुरस्कृत, आगे किया
हुआ
वण सुणअ - भेड़िया
वत्ता रहण - रस्सी पर नाचने वाला
नट
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वपक्षअ
भार
वप्प - १ पिता । २ बाप रे
वप्पाहय – चातक पक्षी
वप्पिअ - परिपूर्ण
वप्पिक्की - पतकी
वप्पिवअ खेत
वप्पीह – कुमार
वम्मल – कोलाहल
वम्मीसण – कामदेव
वम्मुल्लूरण -- मर्मवेधक
वम्मुल्लूरिय–मर्मविद्ध
वयंग – फल विशेष
वयणुल्ल – मुख
वयाल - - कोलाहल
वयालिय–व्याप्त
वरंडिया -- छोटा बरंडा
वरडा -- १ तैलाटी, कीट-विशेष ।
२ दंश भ्रमर
वरत्त - १ पीत । २ पतित ।
३ पेटित, संहत
वरय - वराक, बेचारा
वरह - रज्जु
वरालय - वाहन-विशेष
४६५
वराहव - राहु
वरिल्ल ----वस्त्र
वरुय – वृक, भेड़िया
वलइल्ल - वल्लभ
-
वल विकअ - उत्संगित, उत्संग स्थित
वलत्थ - पर्यस्त
वलविअ – जपवान्
वल हिय – बरामदा
चलाएल्लण-
-वल्लभ
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