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मरजीवय–समुद्र के भीतर उतर
कर जो वस्तु निकालने का काम
 
करता है वह
 
मरट्टा – उत्कर्ष
 
मरट्टिय-गवित
मरह - गर्व
 
मरिअ - १ टूटा हुआ, त्रुटित ।
२ विस्तीर्ण
 
मरुकुंद – मरुआ, मरुवे का गाछ
 
मलइअ - १ हत । २ तीक्ष्ण
 

 
मलहड – १ तुमुल ध्वनि
२ गर्जित । ३ शोक
 
मलहल – कलकल, कोलाहल
मलिय – मदित
 
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मल्हंत — मौन करता हुआ
मल्हूण - भदयुक्त
 
महइ- १ श्मशान । २ इच्छा
महण–पूजक
 
महत्पुर- प्रभाव, माहात्म्य
महल्लिया — अंतःपुर की महत्तरिका
 
महाइय – १ महात्मा । २ महद्धिक
महारअण- वस्त्र
 
महारुंद - परिपूर्ण - पूर्ण इत्यर्थे देशी
महिअदुअ - घी का किट्ट
महिड कर्दम
 
माअली ~ मृदु
माइय–समाविष्ट, समाया हुआ
 
माउच्चा– सखी
 
माउसिआ–फूफी
 
मांड - मंडी, कलप
 
माडा-
-समकाल
 
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घठितो जिरह इति
टीकायाम्
माण–परिमाण-विशेष,
 
माप
 
माभोस – अभय वचन
 
माम – १ आमन्त्रण सूचक अव्यय ।
२ मामा । ३ श्वसुर
 
मामि – आधा
 
मायइ – वृक्ष-विशेष
मायव्हिया - मृगतृष्णा
मायबप्प - माता-पिता
मारिव - गौरव
 
माला - डाकिनी
 
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देशी शब्दकोश
रामदास-
दस सेर का
 
माहुंडल – सर्प विशेष
मिअ – १ अलंकृत । २ विघटित
मिंढ – हस्तिपालक, महावत
मिढय - मेष, भेड़- मेषशब्दार्थ देशी
मिढी – मेषी, मेढी - मेषस्त्री इत्यर्थे
 
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देशी
 
मिरिक्क – मत्सरी
 
मिलाअ - बलात्कार
 
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मिल्लिय – मुक्त, रहित
मिसिमिसिय– उद्दीप्त, उत्तेजित
मोण - सिक्थ, मोम
 
मुअग्ग- आत्मा बाह्य और अभ्यन्तर
पुद्गलों से निर्मित है - ऐसा
मिथ्या ज्ञान
 
मुंकुरुड – राशि, ढेर
 
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मुंगुरुड – राशि, ढेर
 
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माढी–कवच - 'माढी सन्नाहिका इति
देशीसारः, देश्यां लौहाङ्गुलीय- । मुकुंडी - जूडा
 
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मुंट – हीन शरीर वाला
मुंडिय - अश्वशाला के दोनों ओर
 
गाडा जाने वाला काष्ठद्वय
 
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