देशीशब्दकोश /544
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  परिशिष्ट १
  
  
  
   
  
  
  
णालि – स्रस्त, गिरा हुआ
   
  
  
  
णित्तल–अनिवृत्त
   
  
  
  
णावइ – उपमा और उत्प्रेक्षा के अर्थ णित्तुलिय - निश्चय
में प्रयुक्त अव्यय
   
  
  
  
णिद्धाडिय- निष्काशित
   
  
  
  
गाहल - शबर, भील - अरण्य -
चाण्डाल इत्यर्थे देशी
णिअद्धण-परिधान, पहनने का
   
  
  
  
वस्त्र
   
  
  
  
णिअरण–दण्ड, शिक्षा
णिआर - १ ऋजु । २ रिपु ।
'३ प्रकट
   
  
  
  
णिउड - निमग्न
णिउत्त – निमग्न
   
  
  
  
णिउत्तउ-शाल्मली वृक्ष
   
  
  
  
णिउल-गांठ, गठरी
   
  
  
  
णिदणिआ – लोच कराया हुआ
   
  
  
  
णिक्कसरिअ— गलितसार, सार
   
  
  
  
रहित
णिक्कुण– गुपचुप
णिक्ांत- आरोपित
   
  
  
  
णिक्खाविअ – शान्त, उपशम प्राप्त
णिक्खस– निश्चित अवश्य
   
  
  
  
णिक्खम्म निरन्तर
   
  
  
  
णिगमिअ - निवासित
   
  
  
  
AND
   
  
  
  
>
   
  
  
  
णिच्चणिआ--- पानी से धोया हुआ
   
  
  
  
णिच्चोइय- निचोडा हुआ
णिच्छडु – निर्दय
णिच्छुट्ट- निर्मुक्त, छूटा हुआ
णिज्जर – १ जीर्ण । २ खिन्न
णिज्जीवय---गोताखोर
णिज्ज हग – गवाक्ष
णिज्झुण--छुपना
ड्डुिरिय – १ भयोत्पादक ।
२ निष्काशित
   
  
  
  
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णिपट्ट- गाढ़
   
  
  
  
णिवत्तउ – शाल्मली वृक्ष
   
  
  
  
णिप्पणिअ - जल-धौत, पानी से
धोया हुआ
   
  
  
  
णिफंस-निर्दय
   
  
  
  
-
   
  
  
  
णिबिभट्ट - आक्रान्त
णिमिअ-निहित, न्यस्त
णिम्मिअ-स्थापित
   
  
  
  
णिम्मीसुअ – १ युवा । २ बिना
   
  
  
  
दाढ़ी-मूंछ वाला
   
  
  
  
णियच्छिय-दृष्ट
   
  
  
  
णिययणी -- रज्जु
   
  
  
  
णिरारिअ - १ निरंतर ।
२ अतिशय । ३ निरर्थक
   
  
  
  
४७५
   
  
  
  
णिरास-नृशंस
   
  
  
  
णिरित्त-नत
   
  
  
  
णिरु - १ निरन्तर । २ निश्चय ।
३ अतिशय
   
  
  
  
णिरुत्तिय – निश्चित रूप से
णिरोव- आदेश, आज्ञा
   
  
  
  
णिरोविय–अर्पित
   
  
  
  
णिरोसह - घर-रहित
   
  
  
  
-
   
  
  
  
णिलाड - ललाट
   
  
  
  
णिलाप - पात्र
   
  
  
  
जिल्लुक्क - निलीन, प्रच्छन्न
णिल्लुहण -- परिमार्जन
पिल्लरिय - छिन्न
   
  
  
  
णिवली - आघात
   
  
  
  
-
   
  
  
  
णिविड्डु – सोकर जागा हुआ
णिव्वक्कर- परिहास रहित, सत्य
   
  
  
  
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णालि – स्रस्त, गिरा हुआ
णित्तल–अनिवृत्त
णावइ – उपमा और उत्प्रेक्षा के अर्थ णित्तुलिय - निश्चय
में प्रयुक्त अव्यय
णिद्धाडिय- निष्काशित
गाहल - शबर, भील - अरण्य -
चाण्डाल इत्यर्थे देशी
णिअद्धण-परिधान, पहनने का
वस्त्र
णिअरण–दण्ड, शिक्षा
णिआर - १ ऋजु । २ रिपु ।
'३ प्रकट
णिउड - निमग्न
णिउत्त – निमग्न
णिउत्तउ-शाल्मली वृक्ष
णिउल-गांठ, गठरी
णिदणिआ – लोच कराया हुआ
णिक्कसरिअ— गलितसार, सार
रहित
णिक्कुण– गुपचुप
णिक्ांत- आरोपित
णिक्खाविअ – शान्त, उपशम प्राप्त
णिक्खस– निश्चित अवश्य
णिक्खम्म निरन्तर
णिगमिअ - निवासित
AND
>
णिच्चणिआ--- पानी से धोया हुआ
णिच्चोइय- निचोडा हुआ
णिच्छडु – निर्दय
णिच्छुट्ट- निर्मुक्त, छूटा हुआ
णिज्जर – १ जीर्ण । २ खिन्न
णिज्जीवय---गोताखोर
णिज्ज हग – गवाक्ष
णिज्झुण--छुपना
ड्डुिरिय – १ भयोत्पादक ।
२ निष्काशित
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णिपट्ट- गाढ़
णिवत्तउ – शाल्मली वृक्ष
णिप्पणिअ - जल-धौत, पानी से
धोया हुआ
णिफंस-निर्दय
-
णिबिभट्ट - आक्रान्त
णिमिअ-निहित, न्यस्त
णिम्मिअ-स्थापित
णिम्मीसुअ – १ युवा । २ बिना
दाढ़ी-मूंछ वाला
णियच्छिय-दृष्ट
णिययणी -- रज्जु
णिरारिअ - १ निरंतर ।
२ अतिशय । ३ निरर्थक
४७५
णिरास-नृशंस
णिरित्त-नत
णिरु - १ निरन्तर । २ निश्चय ।
३ अतिशय
णिरुत्तिय – निश्चित रूप से
णिरोव- आदेश, आज्ञा
णिरोविय–अर्पित
णिरोसह - घर-रहित
-
णिलाड - ललाट
णिलाप - पात्र
जिल्लुक्क - निलीन, प्रच्छन्न
णिल्लुहण -- परिमार्जन
पिल्लरिय - छिन्न
णिवली - आघात
-
णिविड्डु – सोकर जागा हुआ
णिव्वक्कर- परिहास रहित, सत्य
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