देशीशब्दकोश /528
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परिशिष्ट १
कुवली – वृक्ष-विशेष
कुविल – चोर
कुहणी – १ रथ्या । २ कोहनी,
कूपर
कुहाडय – कुठार
कुहिण – कूपर, कोहनी
कुहिणी - मार्ग
कर – ओदन- ओदनायें देशी
कूरपिउड -- भोजन- विशेष
कूवार – १ चिल्लाहट । २ पुकार
केआ – क्रीडा
के ऊरपुत्त -- गाय तथा भैंस का
बच्चा
केंजू -- १ रज्जु । २ असती ।
३ कन्द
केक्कार – पक्षियों का शब्द - विशेष
केडु -- १ व्यापकता २ । फेन ।
३ साला । ४ दुर्बल
केणअ - पूजाद्रव्य
केत्तडय - कितना
-
केयरी – वृक्ष विशेष
केर – १ सेवा । २ आज्ञा
केवइय – कितना
कोकाविअ – 'को' शब्द से आहूत
कोक्कत–'को' ऐसा शब्द करने
वाला
कोक्कय - आमंत्रित करने वाला
कोक्काविअ - माहूत, आकारित
कोक्किय – आहूत
कोच्छभास --काक, कौआ
कोणेट्टिया- गुञ्जा
कोण्णाअम्लान
केरअ – यह उसका है- इस अर्थ में कोत्थुअवस्थ– नीवी
प्रयुक्त अव्यय
कोदूमिय–सुरत, संभोग
कोद्दाल – कुदाल
कोप्पर - १ वर्णसंकर । २ जाल
कोमाणय – म्लान
कोर – अनुपभुक्त वस्त्र
- ईषत्, थोड़ा
कोव
-
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-
कोच्छर – १ कुशल । २ कुत्सित
कोज्जरिअ – पूरित
कोट्ट – प्राकार भित्ति, कोट
कोट्टमिय - रतिक्रीड़ा विशेष
कोट्टवाल – नगररक्षक
कोट्टा - प्राकार
कोड कौतुक
कोडमिय–रतिक्रीड़ा विशेष
कोडि — मुर्गा
कोडिय - - पिशुन, चुगलखोर
४५६
कोड्डुमिय - रतिक्रीड़ा-विशेष
-
कोड्डय – आश्चर्य
कोड्डावण – कौतुक करना - कौतुक-
करणं इत्यर्थे देशी
कोड्डावणय – कौतुकोत्पादक
कोड्डावणिय – कौतुक करने वाला-
कौतुककारक इत्यर्थे देशी
कोड्डिय– कुतुहली.
कोड्डी - कुतूहलो
कोणाली-गोष्ठी
कोसिअ - जुलाहा
कोह — कोवली, थैला
-
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कुवली – वृक्ष-विशेष
कुविल – चोर
कुहणी – १ रथ्या । २ कोहनी,
कूपर
कुहाडय – कुठार
कुहिण – कूपर, कोहनी
कुहिणी - मार्ग
कर – ओदन- ओदनायें देशी
कूरपिउड -- भोजन- विशेष
कूवार – १ चिल्लाहट । २ पुकार
केआ – क्रीडा
के ऊरपुत्त -- गाय तथा भैंस का
बच्चा
केंजू -- १ रज्जु । २ असती ।
३ कन्द
केक्कार – पक्षियों का शब्द - विशेष
केडु -- १ व्यापकता २ । फेन ।
३ साला । ४ दुर्बल
केणअ - पूजाद्रव्य
केत्तडय - कितना
-
केयरी – वृक्ष विशेष
केर – १ सेवा । २ आज्ञा
केवइय – कितना
कोकाविअ – 'को' शब्द से आहूत
कोक्कत–'को' ऐसा शब्द करने
वाला
कोक्कय - आमंत्रित करने वाला
कोक्काविअ - माहूत, आकारित
कोक्किय – आहूत
कोच्छभास --काक, कौआ
कोणेट्टिया- गुञ्जा
कोण्णाअम्लान
केरअ – यह उसका है- इस अर्थ में कोत्थुअवस्थ– नीवी
प्रयुक्त अव्यय
कोदूमिय–सुरत, संभोग
कोद्दाल – कुदाल
कोप्पर - १ वर्णसंकर । २ जाल
कोमाणय – म्लान
कोर – अनुपभुक्त वस्त्र
- ईषत्, थोड़ा
कोव
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कोच्छर – १ कुशल । २ कुत्सित
कोज्जरिअ – पूरित
कोट्ट – प्राकार भित्ति, कोट
कोट्टमिय - रतिक्रीड़ा विशेष
कोट्टवाल – नगररक्षक
कोट्टा - प्राकार
कोड कौतुक
कोडमिय–रतिक्रीड़ा विशेष
कोडि — मुर्गा
कोडिय - - पिशुन, चुगलखोर
४५६
कोड्डुमिय - रतिक्रीड़ा-विशेष
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कोड्डय – आश्चर्य
कोड्डावण – कौतुक करना - कौतुक-
करणं इत्यर्थे देशी
कोड्डावणय – कौतुकोत्पादक
कोड्डावणिय – कौतुक करने वाला-
कौतुककारक इत्यर्थे देशी
कोड्डिय– कुतुहली.
कोड्डी - कुतूहलो
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कोह — कोवली, थैला
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