This page has not been fully proofread.

४५४
 
ओराली - दीर्घ आवाज
 
ओरिल्ल – पश्चात्
ओरी – समीप
 
ओलअण - १ पत्नी । २ नववधू
 
ओलगा - सेवा, भक्ति
 
-
 
ओलग्गा–सेवा
ओलग्गिय – सेवित
ओलाव - बाज पक्षी
ओलुक्को – आंखमिचौनी
ओलुग्ग-शोभाशून्य
ओलुग्गाविय – १ बीमार
 
२ विरह-पीड़ित
ओल्ली - पनक,
काई
ओवग्गिअ - अवगृहीत
ओवरिय - राशीकृत
 
ओवाअअ - जल समूह की गरमी
 
ओवारिअ – ढेर किया हुआ,
 
——
 
राशीकृत
 
ओसक्कण – अपसरण, पीछे हटना
 
ओसक्किअ – मुक्त
 

 
ओसट्ट – विकसित, प्रफुल्ल
 
ओसडिअ - आकीर्ण, व्याप्त
 
ओसत्त- अवनत
 
ओसत्थ - आलिंगन
 
ओसरी – अलिंदक
 
ओसविअ - अवसन्न
 
-
 
ओसाअण - १ महीशान, जमीन का
मालिक । २ आपोशान
 

 
ओसिरण – व्युत्सर्जन, परित्याग
ओसुद्ध - निपतित, अवपतित
ओहली - ओघ, समूह
ओहल्ली दूर हटना, अपसू ति
ओहामिय – १ तुलित ।
 
Jain Education International
 
देशी शब्दकोश
 
२ अभिभूत
ओहारइत्तु - दूसरे पर मिथ्याभियोग
 
लगाने वाला
ओहिअ—अधोमुख
 
ओहुल्ल - १ खिन्न । २ अवनत,
नीचे झुका हुआ
ओहुल्लिय- म्लान
 

 
कइवार – स्तुति - पाठ
कउड - ककुद, बैल के कंधे का
 
कूबड़
कउसोस – मंदिर का शिखर
 
कओहुत्त - किस तरफ
 
-
 
कंकअसुकअ - अल्प सुकृत लभ्य
कंकर–कंकर
कंकसो-कंधी
 
कंकाल - वर्षाकाल
 
कंगणी-- वल्ली विशेष
कंची रय – पुष्प- विशेष
 
कंछुल्ली – हार
 
कंटी--- उपकण्ठ, पर्वत की निकटवर्ती
भूमि
कंटोल्ल – वनस्पति विशेष
 
-
 
कंठाल – कडाह
 
कंडच्छारिय – १ गांव । २ ग्राम-
प्रमुख । ३ देश । ४ देश प्रमुख ।
५ लुटेरा, हत्यारा ।
६ लुटेरों का सहायक
 
कंडदोणार - बाड़ का विवर
 
कंडपडव – चंदोवा
कंडारिय-- कुपित
 
For Private & Personal Use Only
 
www.jainelibrary.org